-मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने जस्टिस ललित की भूमिका पर उठाया था सवाल
 
रामंदिर बाबरी मस्जिद मामले में आज से सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई अगली तारीख तक टल गयी है। इस मामले में बनाई गयी पीठ के जज ललित द्वारा खुद को इस मामले से अलग करने के बाद इसकी सुनवाई अब 29 जनवरी के लिए टल गयी है. हालांकि आज पूरे देश की निगाह इस मामले पर थी. 
असल में आज जैसे ही अयोध्या मामले पर सुनवाई शुरू हुई,  सीजेआई रंजन गोगोई ने साफ कर दिया कि आज इस मामले में कोई सुनवाई नहीं होगी बल्कि इस मामले के लिए शेड्यूल तय किया जाएगा. ताकि आगे की कार्यवाही बेहतर तरीके से शुरू हो सके. हालांकि आज इस मामले में तक अहम मोड़ आया जब इसके लिए बनाई गयी 5 सदस्यीय संविधान पीठ में शामिल जस्टिस यू. ललित ने बेंच से खुद को अलग कर लिया. दरअसल, मुस्लिम पक्ष के वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने जस्टिस ललित के बेंच में होने पर यह कहकर सवाल उठाया कि वह कभी अयोध्या केस से जुड़े एक मामले में वकील के तौर पर पेश हो चुके हैं.

धवन ने कहा कि ललित 1997 में कल्याण सिंह की तरफ से बतौर वकील पेश हुए थे. हालांकि वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने उनके इस तर्क का विरोध किया और कहा कि इससे इस मामले में कोई फर्क नहीं पड़ता है. दोनों मामले अलग-अलग हैं वह एक आपराधिक मामला था. इसके बाद, खुद जस्टिस ललित ने केस की सुनवाई से हटने की इच्छा जताई. जस्टिस ललित द्वारा बेंच से खुद को अलग करने की इच्छा जताने के बाद सीजेआई ने कहा कि जस्टिस ललित अब इस बेंच में नहीं रहेंगे, लिहाजा सुनवाई को स्थगित करनी पड़ेगी और अब अगली तारीख 29 के लिए तय की गयी. असल में सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष अदालत ने पूर्वा सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ ने पिछले साल 27  सितंबर को 2:1 के बहुमत से मामले को पुनर्विचार के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजने से मना कर दिया था.

जिसमें ये कहा गया था कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है.ये मामला अयोध्या भूमि विवाद मामले पर सुनवाई के दौरान उठा था. हालांकि चार जनवरी को सीजेआई ने महज कुछ ही मिनटों में इसकी सुनवाई को अगली तारीख के लिए टाल दिया गया और इसमें में इस बात का कोई संकेत नहीं था कि भूमि विवाद मामले को संविधान पीठ को भेजा जाएगा. अब राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट में आज से नए सिरे से सुनवाई होगी जिसमें मामले की आगे की रूपरेखा तय होगी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर देशभर की नजर लगी हुई थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सभी तीनों पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसके बाद करीब आठ साल से ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

उधर एक याचिका शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की है, जिसने अयोध्या में मंदिर बनवाने के लिए हिन्दुओं का समर्थन किया है. असल में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित 2,.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर बराबर बांटने का फैसला सुनाया था.
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मामले की सुनवाई की तारीख और बेंच पर फैसला करने की बात कही थी. वहीं केंद्र सरकार चाहती है कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनाई रोजाना के आधार पर हो.

देश में आम चुनाव होने हैं और इसको देखते हुए ये सुनवाई काफी अहम है. आम चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं और राजनीतिक गलियारों के साथ-साथ तमाम संगठनों के द्वारा सरकार पर अध्यादेश लाने का दबाव है. तीन दिन पहले एक न्यूज एजेंसी को दिए गए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने साफ कहा था कि भाजपा राम मंदिर पर कोई अध्यादेश नहीं लाएगी.