शिमला। राज्य की भाजपा सरकार ने केंद्र सरकार के नक्शेकदम पर चलते हुए मुख्यमंत्री,  मंत्री और विधायकों के एक साल के वेतन  में कटौती करने का फैसला किया है। राज्य सरकार ने सरकार और राज्य बोर्डों के अधिकांश जनप्रतिनिधियों के वेतन में 30% की कटौती करने का फैसला किया है।  वहीं केन्द्र सरकार की तरह दो साल के लिए विधायक क्षेत्र निधि को भी खत्म कर दिया है।

जानकारी के मुताबिक सरकार द्वारा वेतन में की गई गई कटौती के जरिए राज्य में कोरोनोवायरस से लड़ने के लिए समर्पित राज्य कोष में जाएंगे। यह फैसला केंद्र के सभी सांसदों और मंत्रियों के वेतन में 30% की कटौती कमी और अगले दो साल तक एमपीलैडस(MPLADS)के धन को निलंबित करने के फैसले के बाद किया गया है। हालांकि इससे पहले तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा सहित कई राज्य राज्य कर्मचारियों के वेतन में कटौती का ऐलान कर चुके हैं।

सोमवार को ही केन्द्र सरकार ने वेतन कटौती को लेकर फैसला किया था। जिसके तहत प्रधानमंत्री,राष्ट्रपति, उपराष्ट्रति और राज्य के राज्यों पर भी इस फैसले को लागू किया गया था। जिसमें एक साल तक तीस फीसदी वेतन में कटौती का फैसला किया गया था। केद्र सरकार इसके लिए एक अध्यादेश लाया था। ताकि वेतन में कटौती की जा सके।  माना जा रहा है कि केंद्र के फैसले से 7,930 करोड़ रुपये की बचत होगे वहीं सांसदों के वेतन से केन्द्र सरकार को 29 करोड़ रुपये मिलेंगे। जिसे कोरोना के साथ लड़ाई में इस्तेमाल किया जाएगा।

पश्चिम बंगाल में राज्यपाल ने सरकार से की वेतन कटौती की मांग

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उनके मंत्रिपरिषद और विधायकों से केंद्र सरकार की तरह वेतन  में कटौती करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की तरह राज्य के सीएम, मंत्रियों और विधायकों को एक साल के लिए वेतन कटौती करनी चाहिए। धनखड़ ने ट्वीट किया कि सरकार को कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए विधायक और मंत्रियों को अपने वेतन में कटौती करनी चाहिए।