पेट्रोल और शराब पर अभी तक जीएसटी के दायरे में लाने के लिए आम राय नहीं बन पायी है। क्योंकि राज्यों को मिलने वाले राजस्व का एक बड़ा हिस्सा इन दोनों उत्पादों से ही मिलता है। लिहाजा राज्य सरकारें भी इन उत्पादों को इसके दायरे में नहीं लाना चाहती है। लेकिन सच्चाई ये भी है कि देर सवेर इन उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाना ही होगा।
फिलहाल देश में पेट्रोल की कीमतें स्थिर हैं। लेकिन ईरान और अमेरिका के बीच चल रहे विवाद को देखते हुए ये कभी भी मंहगा हो सकता है। लेकिन अगर केन्द्र सरकार ये फैसला ले तो पेट्रोल की कीमतों में 25 रुपये तक कमी आ सकती है। सरकार को बस इतना करना है कि वह पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में ले आए। हालांकि अभी तक पेट्रोल में राज्यों के आधार पर वैट और टैक्स लगता है।
पूरे देशभर में एक समान जीएसटी लागू हो जाने के बाद कई उत्पादों को मूल्यों में कमी आयी है। लेकिन पेट्रोल और शराब पर अभी तक जीएसटी के दायरे में लाने के लिए आम राय नहीं बन पायी है। क्योंकि राज्यों को मिलने वाले राजस्व का एक बड़ा हिस्सा इन दोनों उत्पादों से ही मिलता है।
लिहाजा राज्य सरकारें भी इन उत्पादों को इसके दायरे में नहीं लाना चाहती है। लेकिन सच्चाई ये भी है कि देर सवेर इन उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाना ही होगा। फिलहाल उद्योग संगठन एसोचैम ने केन्द्र सरकार से पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी में शामिल करने की मांग की है।
यही नहीं एसोचैम ने स्टांप शुल्क को भी जीएसटी के दायरे में लाने की अपील की है। एसोचैम का क मानना है कि अगर पेट्रोल की जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो उसकी कीमत में काफी गिरावट आ सकती है। फिलहाल अभी दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल पर 35.56 रुपये वैट और एक्साइज ड्यूटी ली जाती है।
वहीं अगर पेट्रोल अगर जीएसटी के दायरे में आता है तो पेट्रोल 25 रुपये तक सस्ता हो सकता है। पेट्रोल से सस्ते होने के साथ ही वाहन उद्योग को भी बड़ी राहत मिल सकती है। इसके कारण गाड़ियों की बिक्री भी बढ़ेगी। गौरतलब है कि पेट्रोल में वैट और अन्य टैक्स के साथ ही डीलर को कमीशन मिला है। वहीं दो दिन पहले जीएसटी को होने वाली बैठक रद्द हो गयी थी। जिसमें इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कुछ रियायतें कम किए जाने की उम्मीद की जा रही थी।
Last Updated Jul 26, 2019, 7:42 AM IST