मोदी सरकार आम आदमी को बैंकिग में कुछ राहत दे सकती है। हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंकों से आरटीजीएस और एनईएफटी के लिए जाने वाले चार्ज को कम करने या फिर शून्य करने को कहा था। लिहाजा आगामी एक जुलाई के बैंक उपभोक्ताओं को राहत दे सकते हैं।
अगर आपने सरकारी वित्तीय स्कीमों में अपने या फिर बच्चों के पैसा निवेश किया है तो एक जुलाई से उनमें ब्याज दरों में कटौती हो सकती है। केन्द्र सरकार सुकन्या धन, पीपीएफ समेत कुछ अन्य सरकारी स्कीमों में दी जाने वाली मौजूदा ब्याज दरों में कमी कर सकती है। जिसका असर सीधे तौर पर आम निवेशकों पर पड़ेगा।
जानकारी के मुताबिक केन्द्र सरकार पब्लिक प्रोविडेंट फंड, सुकन्या योजना और नेशनल सेविंग स्कीम की मौजूदा ब्याज दरों में कमी कर सकती है। ये ब्याज दरें 1 जुलाई के बाद लागू होंगी। इसका सीधा नुकसान आम आदमी पर पड़ेगा। क्योंकि ज्यादातर मध्यम वर्गीय परिवार इन्हीं सरकारी योजनाएं में निवेश करते हैं। मोदी सरकार इसके लिए कभी भी नया नोटिफिकेशन जारी कर सकती है।
वर्तमान में सुकन्या स्कीम के लिए 8.50 फीसदी सालाना ब्याज दर है जबकि पीपीएफ में 8.0 फीसदी की ब्याज दर दी जा रही है। लिहाजा इस बार ब्याज दरों में कटौती का नुकसान निवेशकों को उठाना पड़ेगा। हालांकि इसके साथ ही मोदी सरकार आम आदमी को बैंकिग में कुछ राहत दे सकती है। हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंकों से आरटीजीएस और एनईएफटी के लिए जाने वाले चार्ज को कम करने या फिर शून्य करने को कहा था।
लिहाजा आगामी एक जुलाई के बैंक उपभोक्ताओं को राहत दे सकते हैं। यही नहीं न्यूनतम खाता पर वसूली जाने वाली पैनाल्टी को भी खत्म कर सकते हैं। गौरतलब है कि आरटीजीएस के जरिए बड़ी राशियों को एक खाते से दूसरे खाते में ट्रांसफर किया जा सकता है जबकि एनईएफटी के जरिए दो लाख रुपये तक की राशि को ट्रांसफर किया जा सकता है। अभी तक इसके लिए अलग-अलग बैंक अलग चार्ज लेते हैं। वहीं आरबीआई की सख्ती के बाद एक जुलाई से बैंक बेसिक सेविंग अकाउंट खाताधारकों को चेक बुक और अन्य सुविधाओं के लिए न्यूनतम राशि रखने के लिये नहीं कह सकते हैं।
Last Updated Jun 27, 2019, 8:32 AM IST