फरीदाबाद में स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में देश के लिए शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम में परमवीर चक्र विजेता सूबेदार योगेन्द्र यादव और पूर्व मेजर जनरल जीडी बक्शी, केन्द्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर सहित सैंकडों लोगों ने शहीदों के नाम एक दीप जलाकर उन्हें श्रंद्धाजली अर्पित की। कार्यक्रम में बांग्लादेश में पाकिस्तान के अत्याचार और उसके बाद भारतीय सेना के अदम्य साहस को याद किया गया। 


दिसंबर 1971 का समय था, बंग्लादेश पर गिद्ध मंडरा रहे थे और पाक फौजो ने बंग्लादेश में 30 लाख लोगों को मार डाला था, 10 लाख महिलाओं की इज्जत लूटी जा चुकी थी और 1 करोड बंग्लादेशियों को पाकिस्तान ने भारत में धकेल दिया था। ये सब पाकिस्तान के जनरल टिक्का खान ने किया था। 


पूर्व मेजर जनरल जीडी बक्शी ने बताया कि 1965 के युद्ध में वह अपना एक बडा भाई खो चुके थे, उन्हें आज भी याद है जब उनका भाई रेलवे स्टेशन पर रेल में बैठने के बाद सभी परिजनों को हाथ हिलाकर अलविदा कर रहा था तो शायद उसे अभास हो गया था कि वह अब वापिस नहीं लोटेगा।


जीडी बक्शी ने बताया कि वह 10 दिन की छुट्टी के बाद वापिस पहुंचे तो उन्हें पहली रात को ही बांग्लादेश की लड़ाई पर भेज दिया गया था। वहां सर्विस की पहली रात को ही उनके बैच के सैनिक साथी मारे गये थे। उन्होंने बताया की जो सैनिक दौड़ने में तेज था उसका पैर उड़ गए, जो बॉक्सर थे उसके हाथ कट गए। इस दौरान तीन सैनिक बंग्लादेश में गुप्तचर बनकर गए लेकिन वह पकड़े गए और पाक फ़ौज ने उन्हें यातनाये दे-दे कर मार दिया। इसे देखकर सबका खून खौल उठा क्योंकि सैनिको के पूरे शरीर की हड्डियाँ तोड दी गई थी और उनकी बॉडी को सिगरेट से जलाया गया था। इतना ही नहीं बेरहमों ने सैनिकों की आंखें तक निकाल दी थी।


उन्होंने बताया कि मरने वाले तीन सैनिकों में से एक के पिता नहीं थे, घर में विधवा मां और शादी के लिये बड़ी हो रही बहन थी, जिनके हाथों ने उसकी चिता को आग दी, मां ने सिर्फ इतना पूछा कि मेरा बेटा कैसे मरा, तो सैंनिकों ने बताया कि लड़ते-लड़ते शहीद हो गया। मां एक स्कूल में पढ़ाती थी, जहां एक मैग्जीन में उसने अपने बेटे का छिन्न-भिन्न शरीर को देखा तो बेहोश हो गई। जीडी बख्शी ने कहा कि एक सैनिक ही सैनिक का दुख समझता है इसलिये शहीद सैनिक की बहन से एक सैनिक ने शादी कर ली।


जीडी बक्शी ने गर्व से कहा कि तब फ़ौज ने मात्र 13 दिन में पाकिस्तान के दो टुकडे कर दिए। बांग्लादेश पाकिस्तान के चुंगल से निकलकर आज़ाद देश बन गया था। उन्होंने बताया की युद्ध के दौरान हिन्दुस्तानी फौज ने ढाका में पहुंचकर जीत का परचम फहराया और पाक लैफ्टनेंट जनरल अमीर अकबर अब्दुल को बंदी बना लिया, उस वक़्त वह एक बच्चे की तरह रो रहा था। यही नहीं हिन्दुस्तानी फौजियों ने पाकिस्तान के 93 हजार फौजियों को माल गाड़ियों में ढोर-डंगरो की तरह भरकर हिन्दुस्तान लाकर बंदी बनाया।  


कार्यक्रम में आए वक्ताओं ने हरियाणा की धरती और उसके वीरों को नमन करते हुए परमवीर चक्र से सम्मानित सूबेदार योगेन्द्र यादव का जिक्र करते हुए कहा कि इस वीर ने देश के लिये 40 गालियां खाई और उसके बाद भी लड़खडाते हुए देश का झंडा फहराया। 


अंत में जय हिन्द का नारा लगाते हुए लगाते हुए तमाम सैनिकों ने कहा कि नारा ऐसा लगाओ कि आवाज इस्लामाबाद और बीजिंग तक जाए।