नेशनल डेस्क।खालिस्तान आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा और भारत के बीच संबंध बिगड़ गए हैं और सबसे बुरे हालातो में पहुंच गए हैं। कनाडाई PM जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या का आरोप सीधे भारत पर लगाया है। इतना ही नहीं उन्होंने एक भारतीय राजनायिक को निष्कासित कर दिया। भारत ने सभी आरोपों को निराधार बताते हुए जवाबी कार्रवाई में कनाडा के एक राजनायिक को भारत छोड़ने का आदेश दिया। इस घटनाक्रम से दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। ऐसे में यह जानना भी जरूरी है कि जिन खालिस्तानियों को बचाने के लिए ट्रूडो भारत के साथ रिश्ते खराब कर रहे हैं उन्हीं खालिस्तानी आतंकियों पर 268 कनाडाई नागरिकों की जान लेने का आरोप है।

कोई नहीं भूल सकता 23 जून 1985 का वह दिन

भारत कनाडा के बिगड़ते संबंधों के बीच 1985 में एयर इंडिया के कनिष्क विमान हादसे को याद करना भी जरूरी है जिसमें 268 कनाडा नागरिकों की जान चली गई थी। दरअसल कनाडा के इतिहास में यह घटना आतंकवाद की सबसे भयानक घटना थी। जब 23 जून 1985 को एयर इंडिया की उड़ान 182 कनिष्क आतंकी हमले का शिकार हुई थी। बीच हवा में प्लेन में हुए धमाके में 329 लोग मौत की नींद सो गए थे। जिनमें से अधिकतर कनाडाई नागरिक थे। इस मामले में कनाडा सरकार का रूख बेहद आपत्तिजनक था और उनका झुकाव आरोपियों के प्रति नरम था।

खालिस्तानी आतंकवादियों ने बनाया था फ्लाइट को निशाना

दरअसल,‌ खालिस्तानी आतंकवादियों ने एयर इंडिया की फ्लाइट कनिष्क को निशाना बनाया था। जो अमेरिका के 9/11 आतंकी हमले से पहले तक का सबसे घातक विमान आतंकवादी हमला था। इस हमले में  268 कनाडाई नागरिकों सहित 329 लोगों की जान चली गई थी। विमान मॉनिट्रियल से टोरंटो होते हुए लंदन के लिए उड़ान भर रहा था लेकिन खालिस्तानी आतंकियों ने इसे हवा में ही उड़ा दिया था। विमान को संभालने तक का मौका नहीं मिला। 32000 की ऊंचाई पर उड़ रहा है यह विमान तेज धमाके के साथ आग के गोले में तब्दील हो गया और यह उत्तरी सागर में डूब गया। विमान का मलबा आयरलैंड के कर्क क्षेत्र के तट पर बिखरा मिला था। विमान में सवार सभी 307 यात्री और 22 सदस्य मारे गए थे।

 विमान से संपर्क टूटने के बाद अधिकारियों ने शुरू कर दी थी जांच

एयर इंडिया फ्लाइट 182 को कोई भी चेतावनी या फिर इमरजेंसी कॉल जारी करने का मौका नहीं मिला। कनाडा के मांट्रियल से उड़ान भर रहे इस विमान में 45 मिनट के भीतर विस्फोट हो गया। रडार से गायब होने के बाद लंदन एयरपोर्ट के अधिकारियों ने बचाव दल भेजा लेकिन कोई भी जिंदा नहीं मिला। विमान में सवार 329 लोगों में से केवल 131 शव बरामद किए गए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मनजीत सिंह नाम के शख्स का एयर इंडिया फ्लाइट 182 में सूटकेस था लेकिन मनजीत सिंह फ्लाइट में नहीं था।

एक और विमान को उड़ना चाहते थे खालिस्तानी आतंकी

खालिस्तानी आतंकी उस दिन एयर इंडिया के एक और विमान पर बमबारी करने का प्लान बनाया था लेकिन यह सफल नहीं हो पाया। दूसरा बम जापान के टोक्यो एयरपोर्ट पर फटा जिसमें समान निकालने वाले दो कर्मचारियों की मौत हो गई। यह दोनों कर्मचारी जिस बैग को फ्लाइट से उतार रहे थे उसपर एयर इंडिया की फ्लाइट का टैग लगा था। 

भारत सरकार ने की जांच

भारत सरकार ने बम धमाके की जांच करने के लिए कृपाल आयोग नियुक्त किया था। इसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति बीएन कृपाल ने की। वही सीबीआई ने भी साजिश की जांच की। जांच के दौरान आयोग ने पाया कि यह कोई घटना नहीं बल्कि आतंकी हमला था। सीबीआई ने भी अपनी जांच के बाद कहा कि बम धमाके में पंजाब के आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल का हाथ था और इसका मास्टरमाइंड बिकी नेता तलविंदर सिंह परमार था।

जांच में सुस्ती दिखाता रहा कनाडा 

329 लोगों के मौत के गाल में सामने का यह भयावह हादसा दुनिया के सबसे भयानक हमले में से एक है लेकिन इसके बाद भी कनाडा सरकार की लचर कार्रवाई ने यह साबित कर दिया कि वे खालिस्तानियों का समर्थन करती है। ‌ दरअसल इस मसले में सिर्फ एक शख्स इंद्रजीत सिंह रियाद को दोषी ठहराया गया और वह भी बम धमाके के कई सालों बाद। मास्टरमाइंड परमार इस मामले में दोस्ती नहीं ठहराया गया लेकिन 1992 में जब वे हिंदुस्तान लौटा तो पंजाब में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। 2006 में तत्कालीन कनाडा पीएम स्टीफन हार्पर ने बम विस्फोट के लिए जांच आयोग बनाया 2010 में प्रकाशित रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि कई सुरक्षा नाकामी और बड़ी गलतियों के कारण विमान धमाके का शिकार हुआ और लगभग 329 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

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