इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) समेत कई आतंकी संगठनों के साथ लिंक के चलते जांच के दायरे में आए इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने माओवादियों से संबंधित संगठनों से हाथ मिला लिया है। अब दोनों झारखंड की ‘भगवा’ सरकार को निशाना बनाने के लिए एक दूसरे की मदद कर रहे हैं।  27 जून को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा राज्य सरकार को भेजी गई रिपोर्ट में इन संगठनों के ‘गठजोड़’ को लेकर चेतावनी जारी की गई है।

‘माय नेशन’ को मिली रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हाल ही में गिरफ्तार पीएफआई के सचिव रोना विल्सन ने वसंथा कुमारी नाम की महिला के साथ झारखंड के अधिकारियों और मंत्रियों से मुलाकात कर पीएफआई तथा माओवादियों से जुड़ी मजदूर संगठन समिति (एमएसएस) पर लगा प्रतिबंध हटाने को कहा था। रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों संगठन मुकदमा लड़ने के लिए एक दूसरे को वकील भी मुहैया करा रहे हैं।  

झारखंड सरकार को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है, ‘माओवादियों से जुड़े संगठनों और पीएफआई के बीच मेलमिलाप बढ़ रहा है। झारखंड सरकार के एमएसएस, सीपीआई-माओवादी और पीएफआई पर बैन लगाने के बाद इसमें तेजी आई है। दोनों एक दूसरे के मामलों को उठा रहे हैं। इस प्रक्रिया में अब राज्य की ‘हिंदूवादी’ सरकार को निशाना बनाया जा रहा है।’

गृहमंत्रालय के अनुसार, ‘माओवादियों की ओर से मिले भरोसेमंद इनपुट यह इशारा करते हैं कि अंजनी कुमार मल पीएफआई का प्रतिनिधित्व कर रहे वकीलों की मदद में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। झारखंड हाईकोर्ट में पीएफआई और एमएसएस के वकीलों के बीच संपर्क बनाने के प्रयास हो रहे हैं। इससे पहले, माओवादी संगठनों से करीब से जुड़े कुछ लोगों ने झारखंड सरकार से पीएफआई से प्रतिबंध हटाने की मांग की थी। इनमें रोना विल्सन (सचिव, जन संपर्क, राजनीतिक कैदियों की रिहाई समिति) और वसंथा कुमारी (सदस्य, जीएन साईबाबा की रिहाई एवं बचाव समिति) शामिल हैं। सीपीआई-माओवादी समर्थक पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स ने भी अलग से इन संगठनों पर लगा प्रतिबंध हटाने को कहा है।’

ऐसा पहली बार नहीं है, जब पीएफआई और नक्सलियों से जुड़े संगठनों ने देश में कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए हाथ मिलाया है। इससे पहले केरल में भी यह गठजोड़ दिख चुका है। माओवादी संगठनों और पीएफआई/एनसीएचआरओ ने 24 नवंबर, 2016 को मल्लापुरम जिले में दो वरिष्ठ माओवादी नेताओं की हत्या के बाद दोनों में यह जुगलबंदी देखने को मिली थी।  

गृहमंत्रालय के मुताबिक, ‘दोनों पक्षों की ओर से फर्जी एनकाउंटर विरोधी मोर्चा और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के खिलाफ एक फोरम बनाया गया है। ताकि सरकार विरोधी दुष्प्रचार तेज किया जा सके। एक रणनीति के तहत माओवादियों से जुड़े संगठनों ने एक रणनीतिक संयुक्त मोर्चा बनाने का प्रयास किया है। इनसे हमदर्दी रखने वाले कई दूसरे संगठन भी इस विचार को आगे बढ़ा रहे हैं।’

गृहमंत्रालय ने झारखंड सरकार से माओवादियों से जुड़े संगठनों की गतिविधियों पर करीब से नजर रखने को कहा है। साथ ही उनसे निपटने के लिए सभी जरूरी उपाय करने को भी कहा गया है।