नई दिल्ली--आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की सरकार की ढुलमुल रवैये के कारण भारत ने एक बार फिर झटका दिया है। भारत ने पाकिस्तान को मंगलवार से शुरु हो रही दो दिवसीय मीटिंग में आने का न्यौता नहीं दिया है।

इस मीटिंग में 21 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इसमें सीमा शुल्क, नार्को-आतंकवाद, हवाला और सोने की तस्करी जैसे अपराधों को रोकने के लिए एक आम रणनीति तैयार की जाएगी।

इस मीटिंग में पाकिस्तान को भी शामिल होना था लेकिन भारत उसे पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया। साथ ही उसे जता दिया कि जब तक वह खुद को नहीं सुधारेगा भारत उसकी तरफ दोस्ती का हाथ नहीं बढ़ाएगा।

राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के प्रमुख अधिकारी अपने 61 वें फाउंडेशन डे उत्सव के साथ इस मीटिंग का आयोजन करेंगे। इसमें वे दक्षिण, दक्षिण-पूर्व एशिया, पश्चिम के प्रतिनिधियों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ चर्चा करेंगे।

इस चर्चा में इंटरपोल के प्रतिनिधि, यूएन ऑफिस फॉर द ड्रग्स ऐंड क्राइम, और द वर्ल्ड कस्टम्स जैसी संस्थाएं भी इस चर्चा में शामिल होंगी। 

इस दो दिवसीय मीटिंग में भारत तस्करी के हाल के उन मामलों को उजागर कर सकता है, जिनमें डीआरआई ने जम्मू-कश्मीर के अख्नूर सेक्टर में डीआरआई द्वारा हथियारों और ड्रग्स की तस्करी का पर्दाफाश किया गया।

इस मीटिंग में भारत अपनी चिंताओं को सबके सामने रखेगा। यह ऐसे देशों से खुद को अलग रखना चाहता है जो नार्को-आतंकवाद को संगठित राज्य संरक्षण देते हैं। 

यह पहली बार है जब भारत ने 21 देशों के सीमा शुल्क प्रमुखों को अपने आम विचार-विमर्श बनाने और अन्य परेशानियों से निपटने की रणनीति बनानी है। इस मीटिंग से पाकिस्तान को बाहर ही रखा गया है। पाकिस्तान से भारी मात्रा में हेरोइन की तस्करी की जाती थी। इसका भंडाफोड़ करने के अलावा डीआरआई ने पिछले सालस 970 करोड़ का सोना जब्त किया।