ब्राजील के रियो डी जनेरियो में बुधवार को गणितज्ञों की अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस में वेंकटेश को यह पुरस्कार दिया गया। अक्षय की उम्र 36 साल है और वो ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं।
फील्ड्स मेडल 40 साल से कम उम्र के उभरते हुए गणितज्ञ को चार साल में एक बार दिया जाता है। इस पुरस्कार की शुरुआत 1932 में जॉन चार्ली फिल्ड्स ने की थी, जिन्होंने 1924 में कनाडा के टोरंटो में मैथमैटिक्स कांग्रेस का आयोजन किया था।
वेंकटेश स्टैनफर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। वह यह पुरस्कार जीतने वाले भारतीय मूल के दूसरे शख्स हैं। उनसे पहले 2014 में मंजुल भार्गव भी यह पुरस्कार जीत चुके हैं। 
इस बार के तीन अन्य विजेताओं में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के 40 साल के प्रफेसर कौचर बिरकर, स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी के 34 साल के एलिसो फिगाली और बोन यूनिवर्सिटी के पीटर स्कूल्ज हैं। सभी विजेताओं को गोल्ड मेडल और 15,000 कनाडाई डॉलर का नकद पुरस्कार मिला है। 
अक्षय वेंकटेश का अबतक का सफर शानदार रहा है, उन्होंने तमाम उपलब्धियां हासिल की हैं। स्कूल जीवन से ही उन्होंने फिजिक्स और मैथ्स के कई ओलंपियाड में हिस्सा लिया और मेडल जीते। उन्होंने 11 और 12 साल की उम्र में ही दो प्रतिष्ठित मेडल फिजिक्स और मैथ्स के क्षेत्र में जीते थे। 13 साल की ही उम्र में उन्होंने हाई स्कूल पूरा कर लिया और 2002 में जब 20 साल के थे तभी पीएचडी भी कर ली।
उनकी अब तक की यात्रा बहुत सी उपलब्धियों से भरी हुई है। स्कूल जीवन से ही उन्होंने फिजिक्स और मैथ्स के कई ओलंपियाड में हिस्सा लिया और मेडल जीते। उन्होंने 11 और 12 साल की उम्र में ही दो प्रतिष्ठित मेडल फिजिक्स और मैथ्स के क्षेत्र में जीते थे। 13 साल की ही उम्र में उन्होंने हाई स्कूल पूरा कर लिया और 2002 में जब 20 साल के थे तभी पीएचडी भी कर ली।
अक्षय वेंकटेश का जन्म दिल्ली में हुआ था। वेंकटेश जब 2 साल के थे तभी अपने पैरंट्स के साथ पर्थ चले गए।