क्या पाकिस्तान को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी बड़ी कार्रवाई की तैयारी में हैं? क्या वह लगातार अपनी चुनावी रैलियों में इसका संकेत दे रहे हैं? राष्ट्रवाद का मुद्दा सिर्फ चुनाव तक है या पीएम मोदी किसी बड़े फैसले के लिए देश में माहौल तैयार कर रहे हैं? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जो चुनाव के माहौल के बावजूद धीरे-धीरे उठ रहे हैं। 

प्रधानमंत्री मोदी लगातार अपनी रैलियों में आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने की बात उठा रहे हैं। हालांकि बिहार के मुजफ्फरपुर में उन्होंने इसे लेकर अब तक का स्पष्ट संकेत दिया है। पीएम ने मुजफ्फरपुर में कहा, ' आतंकवाद जब फलता फूलता है तो कोई भी सुरक्षित नहीं रहता, चाहे वह किसी भी जाति या धर्म का क्यों न हो। कोई सोच सकता था कि आतंकवाद श्रीलंका में 300 लोगों को मार देगा ? ’  

उन्होंने कहा, 'चाहे देश के भीतर हो या सीमा पार हो, आतंक और हिंसा फैलाने वाली फैक्ट्री जहां भी होगी, वह इस चौकीदार के निशाने पर है। भारत को जहां से भी खतरा होगा, हम घर में घुसकर मारेंगे, यह तय है । देश की सुरक्षा को लेकर एनडीए की नीति स्पष्ट है।’उन्होंने कहा कि महामिलावटी विपक्ष के पास राष्ट्रीय सुरक्षा की न नीति है, न ही नीयत। ये राष्ट्रीय सुरक्षा की बात करने से भी कतरा रहे हैं।

पीएम मोदी ने कहा, ‘याद करिये वे दिन, जब देश के बड़े-बड़े शहरों में, कभी ट्रेन में, कभी बाजार में, कभी रेलवे स्टेशन पर बम धमाके हुआ करते थे। याद करिए, बम धमाकों के बाद कांग्रेस और उनके साथी कैसे कमजोरों की तरह बर्ताव करते थे ।’  

उन्होंने कहा कि महामिलावट वालों का इतिहास ऐसा है कि ये आतंकवाद पर कुछ नहीं कह सकते, पाकिस्तान का नाम सुनकर इनके पैर कांपते हैं और यही कारण है कि एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक से इनको एलर्जी है।

कुछ दिन पहले गुजरात के पाटण में भी मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी भावी रणनीति का इशारा देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की कुर्सी रहे या ना रहे, लेकिन उन्होंने फैसला किया है कि या तो वह जिंदा रहेंगे या आतंकवादी जिंदा बचेंगे।