घर के भेदी लंका ढाए....कहावत बड़ी पुरानी है और सच भी। जहां बिहार की 40 सीटों पर कब्जा जमाने के लिए नीतीश कुमार और अमित शाह दिल्ली से पटना तक बैठकें कर रहे हैं, वहीं बिहार बीजेपी के कुछ निवर्तमान सांसद इस लक्ष्य के रास्ते में रोड़ा अटकाने में जुटे हुए हैं।
वैसे तो शत्रुघ्न सिन्हा जैसे सांसद खुलकर बीजेपी का विरोध कर रहे हैं और विरोधियों से पींगें बढ़ा रहे हैं।
लेकिन सामने से वार करने वालों से ज्यादा खतरा पीठ में छूरा घोंपने वालों से होता है। इसलिए पार्टी को ज्यादा नुकसान उन भीतरघातियों से है, जो कि उपर से तो पार्टी की भलाई का नाटक कर रहे होते हैं, लेकिन अंदरखाने अपने ही दल की नाव में छेद कर रहे हैं।  
महाराजगंज से बीजेपी सांसद जनार्दन सिग्रीवाल का रुख भी आजकल ऐसा ही है। पिछले चुनाव में उनकी छह विधानसभा सीटों से एक भी एनडीए का विधायक नहीं जीता। हारे हुए उम्मीदवारों ने खुलकर सिग्रीवाल पर पार्टीविरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने का आरोप लगाया।
सिग्रीवाल की नई करतूत कुछ यूं है।
 पिछले दिनों उन्होंने अपने दो बेहद विश्वस्त सहयोगियों को विश्व हिंदू परिषद के विवादित पूर्व नेता प्रवीण तोगड़िया का स्वागत करने के लिए भेजा। यह वही प्रवीण तोगड़िया हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल रखा है और बीजेपी के समर्थक हिंदू वोटों का विभाजन करवाने में जुटे हुए हैं।
इस खबर के साथ कुछ तस्वीरें दी हुई हैं। जिसमें आप स्पष्ट रुप से देख सकते हैं, कि कैसे सांसद सिग्रीवाल के वह दोनो सहयोगी, जो अटल कलश यात्रा में साथ हैं। वही दोनों तोगड़िया का भी स्वागत कर रहे हैं।

इस तस्वीर में सिग्रीवाल अपने दो सहयोगियों के साथ अटल अस्थि कलश यात्रा निकाल रहे हैं।

 

इस दूसरी तस्वीर में सिग्रीवाल के यही दोनों सहयोगी तोगड़िया का स्वागत कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री के विरोधी को प्रश्रय देकर सिग्रीवाल किस तरह के राजनीतिक सौदे की फिराक में हैं, इस बारे में सिर्फ अटकलें ही लगाई जा सकती हैं।