जन्माष्टमी के अवसर पर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) एवं बजरंग दल ने पूरे बंगाल को भगवा रंग में रंग दिया है। दोनों हिंदू संगठनों की ओर से राज्य में 1,000 शोभायात्राएं निकाली जा रही हैं। जन्माष्टमी से एक दिन पहले यानी रविवार से ही कृष्णभक्तों का उत्साह पूरे बंगाल में दिख रहा है। यहां कृष्ण बने बच्चे और सिर पर भगवा पटका बांधे कृष्ण भक्त सड़कों पर पूरे उल्लास से जन्माष्टमी मनाते नजर आ रहे हैं। राज्य में यह उत्सव मंगलवार तक चलेगा।  

अकेले कोलकाता में ही ऐसी 70 शोभायात्राएं निकाली जा रही हैं। कस्बा से बोंडेल गेट, गरिया से श्यामबाजार तक ये शोभायात्राएं हर जगह नजर आ रही हैं। कुछ जगहों पर लोग राममंदिर के निर्माण की मांग भी करते नजर आए। 

जन्माष्टमी वीएचपी का स्थापना दिवस भी है। इसलिए जन्माष्टमी का उसके लिए खास महत्व है। बंगाल के हर जिले में वीएचपी और बजरंग दल की स्थानीय इकाइयां यह सुनिश्चित करने में जुटी हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग इन आयोजनों में हिस्सा लें। यहां तक कि बर्धवान जहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं वहां भी महिलाएं बच्चों के साथ सड़कों पर इन शोभायात्राओं में शामिल होती देखी गईं। 

इसमें कोई संदेह नहीं है कि जन्माष्टमी, राम नवमी और चैत्र नवरात्र जैसे हिंदू त्यौहारों के जरिये बंगाल में बढ़ते भगवा प्रभाव को दिखाने की कोशिश हो रही है। पहले ये त्यौहार बंगाल में इतने बड़े पैमाने पर नहीं मनाए जाते थे। 

तीन दिन के ये आयोजन सिर्फ शोभायात्रा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि राम और कृष्ण से संबंधित थियेटर और भजन संध्याओं का आयोजन किया गया है। इन आयोजनों के बीच सबसे अच्छी बात यह है कि सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस भी जन्माष्टमी उत्सव में हिस्सा ले रही है। पुरुलिया में टीएमसी कार्यकर्ताओं को ऐसे आयोजनों में हिस्सा लेते देखा गया है। दरअसल, हाल में हुए पंचायत चुनाव में यहां भाजपा को काफी बढ़त मिली है। 

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'माय नेशन'  से बात करते हुए विहिप के सौरिष मुखर्जी ने कहा, 'टीएमसी ने पहले कभी ऐसे आयोजन नहीं किए। लेकिन अब वे मजबूरी के चलते ऐसा कर रहे हैं। ये लोग तब कहां थे जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले साल हमें दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन करने से रोक दिया था। बंगाल की जनता इस छद्म हिंदुत्व को अच्छी तरह देख रही है।'