सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर चल रहे विवाद के बीच जस्टिस के. एम. जोसेफ समेत कुल तीन जज आज सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ लेंगे। कई वरिष्ठ जजों ने जस्टिस के. एम. जोसेफ की वरिष्ठता घटाने को लेकर अपनी आपत्ति जाहिर की है। ज्यादातर जजों का मत था कि इस मामले में वरिष्ठता का उल्लंघन नहीं हुआ है। जजों का मानना है कि जस्टिस बनर्जी और जस्टिस सरन जस्टिस जोसफ से वरिष्ठता क्रम में ऊपर हैं। जस्टिस बनर्जी और जस्टिस सरन 7 अगस्त 2002 को हाई कोर्ट में जज नियुक्त हुए थे।

जस्टिस जोसफ 14 अक्टूबर 2004 को हाई कोर्ट के जज नियुक्त हुए थे। इधर केंद्र सरकार भी अपत्तियों को दरकिनार कर अपने रुख पर अडिग है। सरकार ने साफ किया कि वह इस मामले में नियमों के अनुसार ही काम कर रही है और वरिष्ठता तथा परंपरा के अनुसार ही नोटिफिकेशन जारी किया गया है। 

सरकार की तरफ से जारी की गई शपथ ग्रहण कार्यक्रम की अधिसूचना में जस्टिस जोसफ को जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस विनीत सरन के बाद दर्शाया गया है। चीफ जस्टिस जस्टिस जोसेफ के अलावा जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस विनित सरन को शपथ दिलवाएंगे। अगर जस्टिस जोसेफ तीसरे नंबर पर शपथ लेते हैं तो वह तीनों में सबसे जूनियर होंगे। ऐसी व्यवस्था है कि सरकार जिस ऑर्डर में जजों के नाम नोटिफाई करती है, उसी के अनुरूप चीफ जस्टिस उन्हें शपथ दिलाते हैं। 

कांग्रेस ने सोमवार को लोकसभा में सरकार पर मनमाने ढंग से जजों की नियुक्ति का आरोप लगाया। केरल से कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने शून्य काल में कहा कि सरकार कलीजियम की सिफारिशों की अनेदखी कर अपने तरीके से काम करना चाहती है। चार महीने पहले कलीजियम ने एक जज के नाम की सिफारिश की थी, जो सरकार ने खारिज कर दी थी। दोबारा उनके नाम का प्रस्ताव आने पर उन्हें स्वीकृति दी गई। सरकार को सफाई देनी चाहिए कि इस जज के मामले में ऐसा क्यों हुआ?