भोपाल। राज्य की कमलनाथ सरकार ने नया फरमान सुनाया है। राज्य सरकार ने कहा है कि अगर राज्य के स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी नसबंदी नहीं कराते हैं तो उनका वेतन को रोक दिया जाएगा। राज्य में पुरूषों की नसबंदी कम हो रही है। जबकि इसकी तुलना में महिलाओं की संख्या काफी ज्यादा है। लिहाजा सरकार ने कहा है कि अगर पुरूष स्वास्थ्य कर्मचारी नसबंदी नहीं कराते हैं तो उनका वेतन रोक लिया जाए। 

आंकड़ों के मुताबिक राज्य में पिछले पांच वर्षों में पुरूष नसबंदी की संख्या घट रही है। राज्य में 2019-20 में जहां 3.39 लाख महिलाओं की नसबंदी हुई है वहीं इसकी तुलना में 20 फरवरी  2020 तक महज 3,397 पुरूषों की नसबंदी हुई है। जो एक चिंताजनक आंकड़ें हैं। वहीं अब राज्य सरकार ने परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने के लिए राज्य के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को चेतावनी है। राज्य सरकार न साफ किया है कि जो कार्यकर्ता 2019-20 में नसबंदी के लिए एक भी पुरूष को नहीं जुटाने पाएंगे उनका वेतन रोक लिया जाएगा और उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में महज .5 फीसदी नसबंदी हो रही है। लिहाजा राज्य सरकार ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों से पुरुष की पहचान करने को कहा है। यही नहीं राज्य सरकार ने इस कार्य में फिसड्डी रहने वाले कर्मचारियों की पहचान कर उनका वेतन रोकने का आदेश दिया है। राज्य सरकार का कहना है कि अगर कोई कर्मचारी एक भी पुरूष की नसबंदी नहीं करता है तो अगले महीने उसकी सेवा को समाप्त कर दिया जाए।

वहीं राज्य सरकार का कहना है कि अगर स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्त कर दिया जाए और इसका प्रस्ताव जिला कलेक्टरों के माध्यम से भोपाल में एनएचएम मुख्यालय भेजा जाए। राज्य सरकार के आदेश में कहा गया है कि सभी एमपीएचडब्ल्यू को जिलों में शिविर आयोजित करने पर कम से कम पांच नसबंदी कराने वाले पुरूषों को जुटाना होगा।