नई दिल्ली। एक और कांग्रेस शासित राज्य कांग्रेस से हाथ से फिसलता दिख रहा है। राज्य में कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य राजे सिंधिया के बागी होने की खबर है। सिंधिया के समर्थक मंत्री और विधायक कर्नाटक पहुंच चुके हैं और माना जा रहा है कि वह जल्द की कमलनाथ सरकार से समर्थन वापस ले सकते हैं। राज्य में कांग्रेस की सरकार बचाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सक्रिय हो गए और नेताओं से बातचीत कर रहे हैं।

रविवार तक राज्य में ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस में चल रही सियासी उठापटक शांत हो गई है। लेकिन सोमवार को राज्य में जो सियासी ड्रामा शुरू हुआ उसको देखकर लगता है कि राज्य में कांग्रेस की स्थिति कर्नाटक वाली हो गई है। कांग्रेस के 17 विधायक, जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक बताए जा रहे हैं वह बंगलुरू पहुंच गए हैं और सिंधिया किसी भी कांग्रेस नेता का फोन नहीं उठा रहे हैं।

हालांकि कहा जा रहा है कि सिंधिया दिल्ली में है और भाजपा नेताओं के संपर्क में है। चर्चा ये है कि भाजपा ने सिंधिया को राज्यसभा में भेजने का वादा किया है और उनके कई समर्थक विधायकों को राज्य कैबिनेट में अहम पद दिए जाएंगे। माना जा रहा है कि भाजपा का राज्य में चलाया जा रहा ऑपरेशन लोटस काफी हद तक पूरा हो गया है।

लिहाजा अब राज्य में कमलनाथ की सरकार खतरे में है। कमलनाथ ने दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात की। लेकिन सोनिया गांधी ने भी अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। क्योंकि सोनिया गांधी का मानना है कि राज्य में जो भी हो रहा है। उसकी सबसे बड़ी वजह कमलनाथ ही हैं। क्योंकि पिछले एक साल के दौरान कमलनाथ ने राज्य में सरकार अपने मत मुताबिक चलाई। वहीं संगठन को भी अपने इशारे पर चलाया। जिसके कारण राज्य में बगावत हुई है। सोनिया ने साफ कह दिया है कि कमलनाथ सरकार बचाने के लिए जो भी कदम उठाना चाहते हैं वह उठाए।

वहीं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय भी सक्रिय हो गए हैं। लेकिन एक साथ 17 विधायकों के बगावत से राज्य में कांग्रेस की सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हालांकि विधायकों ने सरकार से समर्थन लेने का ऐलान नहीं किया है।   चर्चा है कि सिंधिया दिल्ली में हैं और उनके खेमे के विधायक उनसे मिलने के लिए दिल्ली आ रहे हैं और इन विधायकों में पिछले 5 दिनों से गायब रघुराज कंसाना भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस विधायक ओपीएस भदौरिया, जसवंत जाटव के फोन भी बंद हैं। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में 3 मार्च से लगातार सियासी हंगामा चल रहा है।