नई दिल्ली। किसानों की खेती के अलावा अन्य कार्यों के जरिए मुनाफा बनाने के लिए केरल सरकार ने पहली बार देश में राज्य में किसानों के उत्थान के लिए एक कल्याण कोष बोर्ड का गठन करने का फैसला किया है। राज्य कैबिनेट ने बोर्ड को केरल कार्षका क्षेमनिधि बोर्ड के लिए बनाने का फैसला किया है। इसके जरिए किसानों को  कृषि में बागवानी, औषधीय पौधों की खेती, नर्सरी प्रबंधन, मछली, सजावटी मछली,  मधुमक्खी, रेशम के कीड़े, मुर्गी, बत्तख, बकरी, खरगोश, पशुधन के लिए आर्थिक मदद दी जाएगी। इसके साथ ही किसानों को कृषि के लिए भूमि का रखरखाव और उपयोग की भी जानकारी दी जाएगी।

देश में पहली बार, केरल सरकार ने राज्य में किसानों के उत्थान के लिए इस तरह का फैसला किया है। इस फैसले के तहत किसानों के लिए कल्याण कोष बोर्ड बनाने का फैसला किया है। राज्य सरकार ने केरल कार्षका क्षेमनिधि बोर्ड के रूप में बनाने का फैसला किया। राज्य सरकार की कैबिनेट के बैठक के बाद डॉ पी राजेंद्रन को केरल किसान कल्याण निधि बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त कियागया है। वहीं जानकारी के मुताबिक बताया जा रहा है कि देश में ऐसा पहली बार किसानों के कल्याण और उत्थान के लिए इस तरह के बोर्ड का गठन किया गया है।

केरल कार्षका क्षेमनिधि अधिनियम के तहत किसानों को कृषि में बागवानी, औषधीय पौधों की खेती, नर्सरी प्रबंधन, मछली, सजावटी मछली, मसल्स, मधुमक्खी, रेशम के कीड़े, मुर्गी, बत्तख, बकरी, खरगोश, पशुधन के लिए मदद दी जाएगी। साथ ही खेती के लिए भूमि के रखरखाव और उपयोग के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। राज्य सरकार ने इसके लिए नियम तय कर दिए हैं और इसके तहत किसानों को बोर्ड का सदस्य बनने के लिए पंजीकरण कराना होगा और इसके लिए शुल्क के रूप में 100 रुपये और मासिक शुल्क 100 रुपये का भुगतान करना होगा।

यही नहीं किसान सदस्यता के लिए छह महीने या एक साल के लिए एक साथ मासिक शुल्क का भुगतान कर सकते हैं। वहीं राज्य सरकार ने इसमें किसानों के लिए पेंशन का भी प्रावधान रखा है। हालांकि ये काफी कम है। कल्याण कोष के सदस्यों को 250 रुपये तक व्यक्तिगत पेंशन, परिवार पेंशन, बीमारी लाभ, विकलांगता लाभ, चिकित्सा सहायता, विवाह और मातृत्व भत्ता, शिक्षा सहायता मिल सकती है। वहीं महिला सदस्यों और कल्याण कोष की सदस्यों को बेटियों की शादी के लिए आर्थिक मदद  दी जाएगी।