नई दिल्ली। दो दिन पहले ही असम सरकार के आदेश के बाद राज्य में शराब की दुकानें खोल दी गई। वहीं केरल सरकार डाक्टरों के परामर्श पर शराब मुहैया कराने को तैयार हो गई। वहीं राज्य सरकार ने ऑनलाइन शराब बेचने की तैयारी भी शुरू कर दी। इसके साथ ही भाजपा शासित हरियाणा में सरकार ने शराब की फैक्ट्रियों को तैयार रहने आदेश दिया। आखिर देश में चल रहे लॉकडाउन के बीच सरकारें शराब की दुकान ही खोलने के लिए उत्सुक दिख रही है। असल में इसका सबसे बड़ा कारण है। राजस्व। जी हां राजस्व। क्योंकि राज्य सरकारें अपने राजस्व का सबसे ज्यादा हिस्सा शराब से वसलूती हैं।


देश में लॉकडाउन शुरू होने के बाद भी हरियाणा और हिमाचल में शराब की दुकानें खुली रही। लेकिन बाद में आलोचनाओं के बाद राज्य सरकार ने बड़ी मुश्किल से राज्य में शराब की दुकानों को बंद किया। जबकि केरल सरकार ने तो राज्य में शराब के शौकीनों के लिए डाक्टरों के पर्चे पर शराब मुहैया कराने का आदेश राज्य के आबकारी विभाग दिया। यही नहीं केरल राज्य सरकार में तो शराब ऑनलाइन मुहैया कराने को तैयार हो गई थी। जबकि अब असम में सरकार ने शराब की दुकानें खोल दी। जिसके बाद राज्य की शराब की दुकानों में लंबी कतार लग गई और कुछ ही घंटों में दुकानों से शराब खत्म हो गई। 

असल में पेट्रोलियम की तरह ही शराब भी एक उच्च राजस्व देने वाला उत्पाद है। जिसकी भारी मांग है, भले ही कीमत ऊपर हो और फिर नीचे आए,लेकिन शराब की बहुत अधिक प्रभावित नहीं होती है। वहीं सरकार को राजस्व भी अच्छा मिलता है। लिहाजा राज्यों की विभिन्न सरकारें अब शराब की बिक्री की अनुमति देने के विकल्प पर विचार कर रही है। राज्य सरकारें दुकानों के साथ ही ऑनलाइन शराब की बिक्री की योजना बना रही हैं।


भारत में हर साल 8.8% के हिसाब से शराब की मांग बढ़ रही है। जिसमें शराब और वोदका की मांग बहुत अधिक है। वहीं भारत दुनिया में व्हिस्की का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। आंकड़ों के मुताबिक 2010 से 2017 तक देस में मादक पेय पदार्थों की बिक्री में 38% का इजाफा देखने को मिला है। जानकारी के मुताबिक तमिलनाडु सरकार हर साल 30 हजार करोड़  का राजस्व शराब से वसूलती है वहीं हरियाणा में शराब से आने वाला राजस्व 19 हजार करोड़ से ज्यादा है.

 जबकि उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार को शराब से 14 हजार का राजस्व शराब से मिलता है। जबकि पंजाब को हर साल शराब से  5 हजार  करोड़ का राजस्व शराब से मिलता है।  इसके अलावा केरल सरकार को भी करीब  14 हजार करोड़  का राजस्व शराब से मिलता है।