बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राज्य की नीतीश कुमार सरकार ने मुस्लिमों को लुभाने के लिए संघ और उससे जुड़े संगठनों के बारे में क्राइम ब्रांच से जांच करने को कहा है। लिहाजा इस मामले में अब सियासत तेज हो गयी है।

हालांकि राज्य सरकार में सहयोगी भारतीय जनता पार्टी इस मामले में खुलकर नहीं बोल रही है। लेकिन नीतीश के इस फैसले से साफ है कि उन्होंने राजद के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी कर ली है। 
असल में बिहार की स्पेशल क्राइम ब्रांच आजकल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे जुड़े संगठनों पर नजर रख रही है। इसके तहत इन संगठनों के स्थानीय स्तर पर कर्ताधर्ताओं की पूरी सूची तैयार की जा रही है। जिस पर संघ और उससे जुड़े संगठनों को आपत्ति है।

असल में नीतीश कुमार ने ये कदम राज्य के मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए पहले ही चल दिया है। क्योंकि लोकसभा के बाद मुस्लिम मझधार में हैं जबकि कभी मुस्लिम लालू प्रसाद यादव का बड़ा वोट बैंक माना जाता था। जिसके बलबूते उन्होंने बिहार में कई साल राज किया।

अगर विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोट नीतीश कुमार नहीं मिले तो राज्य में फिर से सत्ता में आना उनके लिए मुश्किल होगा। हाल ही में लोकसभा चुनाव में मुस्लिम वोट राज्य में बंट गया था। जिसका खामियाजा लालू प्रसाद यादव को भुगतना पड़ा और पार्टी राज्य में एक भी सीट नहीं जीत पायी थी। जबकि इससे पहले हुए उपचुनाव में राजद ने अच्छा प्रदर्शन किया था।

लिहाजा अब मुस्लिमों का हिमायती बनने के लिए नीतीश कुमार सरकार ने संघ और उससे जुड़े संगठनों की जांच करने को कहा। हालांकि जांच एजेंसियां इन संगठनों के कर्ताधर्ताओं की सूची तैयार कर रही है। लेकिन सवाल ये है कि आखिर इसमें संघ और उससे जुड़े संगठन ही क्यों। बाकि अन्य संगठन क्यों नहीं। हालांकि नीतीश कुमार सरकार के अफसरों का कहना है कि ये एक रूटीन कार्य है। लेकिन राज्य सरकार के जिम्मेदार अफसर इस मामले में बोलने से कतरा रहे हैं।

ये संगठन हैं नीतीश के निशाने पर 

राज्य सरकार के द्वारा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के साथ ही विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, हिंदू जागरण समिति, धर्म जागरण सम्नयव समिति, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, हिंदू राष्ट्र सेना, राष्ट्रीय सेविका समिति, शिक्षा भारती, दुर्गा वाहिनी, स्वेदशी जागरण मंच, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, भारतीय रेलवे संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, अखिल भारतीय शिक्षक महासंघ, हिंदू महासभा, हिंदू युवा वाहिनी, हिंदू पुत्र संगठन नीतीश सरकार के निशाने पर हैं। जिसके पदाधिकारियों के नाम और पते सूचना ईकाई से मांग गए हैं।