कर्नाटक में दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने से सियासी दांवपेंच तेज हो गया है। इन दोनों ने राज्यपाल को पत्र लिखकर कुमारस्वामी सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी है।
 
इसके बाद से बीजेपी और कांग्रेस दोनों की नजरें एक दूसरे के विधायकों पर हैं। राज्य में विधायकों की खरीद बिक्री के आरोप भी तेज हो गए हैं। 

इससे बचने के लिए बीजेपी ने अपनी सभी 104 विधायकों को हरियाणा के एक रिजॉर्ट में रखा है। जबकि कांग्रेस के चार से पांच विधायक मुंबई में मौजूद हैं।

उधर कांग्रेस-जेडीएस सरकार से समर्थन वापस लेने वाले निर्दलीय विधायक एच. नागेश ने खुलकर बीजेपी का समर्थन देने का ऐलान कर दिया है।

गुड़गांव में कर्नाटक के बीजेपी विधायकों के साथ पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस.येदियुरप्पा भी मौजूद हैं। उनके एक करीबी बीजेपी विधायक ने दावा किया है कि येदियुरप्पा को 12 कांग्रेसी विधायकों का समर्थन हासिल है। लेकिन वह चार से पांच और कांग्रेस विधायकों के समर्थन का इंतजार कर रहे हैं। जिससे कि उन्हें दल बदल कानून का सामना न करना पड़े। जिसके तहत किसी भी पार्टी को तोड़ने के लिए कम से कम एक तिहाई निर्वाचित प्रतिनिधियों का समर्थन हासिल होना चाहिए। अन्यथा उनकी सदन की सदस्यता जा सकती है।

उधर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के कैबिनेट मंत्री डी.के.शिवकुमार ने दावा किया है कि राज्य में कांग्रेस-जेडीएस सरकार स्थिर है और उसे कोई खतरा नहीं है। 


 
लेकिन कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने आरोप लगाया कि 'बीजेपी नेता जगदीश शेट्टार, सीएन अश्वथनारायण और अरविंद लिंबावली ने सोमवार शाम को एक जेडीएस विधायक से संपर्क किया था। उन्हें 50 करोड़ कैश, मंत्री का पद और दोबारा चुनाव लड़ने के लिए 30 करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया है’। 

कर्नाटक में पिछले साल अप्रैल मई में चुनाव हुए थे। 225 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरी थी। लेकिन बहुमत न जुटा पाने के कारण येदियुरप्पा को दो ही दिन में इस्तीफा देना पड़ गया था। 

जिसके बाद 80 सीटों वाली कांग्रेस और 37 सीटों वाली जेडीएस ने मिलकर सरकार बनाई थी। उन्हें दो निर्दलीय और एक बसपा विधायक का समर्थन भी हासिल था। 

कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए 113 विधायकों का समर्थन चाहिए। कुमारस्वामी सरकार के पास 121 विधायकों का समर्थन था। 

लेकिन बसपा विधायक ने पहले ही समर्थन वापस ले लिया था और अब दोनों निर्दलीयों ने भी समर्थन खींच लिया है। 

इसके बाद कुमारस्वामी सरकार के पास 117 विधायकों का समर्थन रह गया है। 

बीजेपी के पास 104 सीटें हैं। उसे बहुमत के लिए नौ(9) विधायकों का समर्थन चाहिए। बताया जा रहा है कि बीजेपी जल्दी ही कुमारस्वामी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है।  

कर्नाटक विधानसभा में कुल सीटें – 225
भारतीय जनता पार्टी – 104
कांग्रेस – 80
जेडीएस – 37
बसपा – 1
अन्य – 1
KPJP – 1
मनोनीत – 1