देश में शराब पीने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। हालत यह है कि साल 2005 से 2016  तक शराब की खपत दोगुनी हो गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।

साल 2005 में देश में जहां प्रति व्यक्ति अल्कोहल की खपत 2.4 लीटर थी, वहीं 2016 में यह बढ़ कर 5.7 लीटर तक पहुंच गई है। 

भारत दुनिया में शराब का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। यहां शराब उद्योग सबसे तेजी से फलने-फूलने वाली इंडस्ट्री में शुमार होता है। 

इसकी वजह यह है, कि भारत का बड़ा हिस्सा युवा है। जिनमें शराब का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। युवा तबके में शराब की बढ़ती लत ही देश में शराब की खपत बढ़ने के लिए मुख्यरूप से जिम्मेदार है। 

दरअसल बेंगलुरू, हैदराबाद, पुणे और गुरुग्राम जैसे शहरों में बेहतर वेतन-भत्तों की वजह से अब युवाओं के एक बड़े तबके के पास अच्छा खासा पैसा आने लगा है। जिसके बाद वीकेंड पर उनमें दोस्तों के साथ पार्टी करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। 

समाजशास्त्रियों के मुताबिक लोगों के रहन-सहन के स्तर में सुधार, वैश्वीकरण, आभिजात्य जीवनशैली का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। जिसकी वजह से समाज में शराब के सेवन को अब पहले की तरह बुरी नजर से नहीं देखा जाता है, यह भी देश में शराब की खपत बढ़ने का एक बड़ा कारण है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक भारत में कुल आबादी के लगभग 30 फीसदी लोग शराब की लत के शिकार हो चुके है। इसमे से भी  4(चार) से 13(तेरह) फीसदी लोग हर रोज शराब पीते हैं।

हालांकि देश के ज्यादातर हिस्सों में 25 साल से कम उम्र के लोगों को शराब परोसने और बेचने पर प्रतिबंध है। लेकिन जमीनी स्तर पर इस नियम की जमकर धज्जियां उड़ाई जाती हैं। आबकारी यानी एक्साईज ड्यूटी राज्यों की आय का एक बड़ा स्रोत है। इसलिए नियमों के उल्लंघन पर सरकारी एजेंसियां भी आंखें मूंदे रहती हैं।  

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में यह भी देखा गया है, कि शराब की खपत बढ़ने के साथ ही इससे होने वाली समस्याएं भी बढ़ रही हैं। अल्कोहल के दुष्प्रभाव से हिंसा, मानसिक बीमारियों और चोट लगने जैसी समस्याएं बढ़ी हैं, वहीं कैंसर व ब्रेन स्ट्रोक जैसी बीमारियों की चपेट में आने वाले लोगों की तादाद भी बढ़ी है। 

शराब के ज्यादा सेवन से कम से कम दो सौ तरह की बीमारियों को न्यौता मिलता है। एक स्वास्थ्य रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादा शराब पीने वाले लोगों में टीबी, एचआईवी और निमोनिया जैसी बीमारियों के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। 

एक कड़वा सच यह भी है कि शराब की वजह से भारत में हर साल 2.60 लाख लोगों की मौत हो जाती है। 

इसलिए शराब की खपत बढ़ने से रोके जाने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की जरुरत है। लेकिन इसके लिए जरुरी इच्छाशक्ति कम से कम फिलहाल तो नहीं दिखाई देती।