वाराणसी। कालीन नगरी भदोही लोकसभा सीट को लेकर इस बार समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव का दांव किसी के गले नहीं उतर रहा है। सपा ने समझौते के तहत इस सीट को टीएमसी के हिस्से में दे दिया है। टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने इस सीट के लिए यूपी के पूर्व सीएम पं. कमलापति त्रिपाठी के परपौत्र ललितेश मणि त्रिपाठी को यहां से प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है। 

सपा ने अपने गढ़ की सीट को टीएमसी की झोली में डाला
पूर्वांचल की चर्चित सीटों में से एक भदोही लोकसभा सीट यूं तो सपा का गढ़ मानी जाती है। अब इसको अखिलेश यादव ने ममता बनर्जी को क्यों दे दिया। जानकार इसके अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं। हालांकि सपा के टिकट पर ताल ठोकने की तैयारी कर रहे नेताओं को पार्टी मुखिया के इस निर्णय से गहरा झटका लगा है। 

पांच विधानसभा सीटों वाली भदोही में ब्राह्मण वोटर माने जाते हैं निर्णायक
भदोही लोकसभा सीट में कुल 5 विधानसभा सीट हैं। इसमें भदोही जिले की ज्ञानपुर, भदोही और औराई जबकि प्रयागराज की प्रतापपुर एवं हंडिया सीट शामिल है। भदोही लोकसभा सीट पर ब्राह्मण वोटर निर्णायक माने जाते हैं। इन्हीं को साधने के लिए यह कदम उठाया गया है।

पूर्व सीएम के प्रपौत्र हैं ललितेश, बीजेपी पर टिकी निगाह
कांग्रेस के दिग्गज नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र ललितेशपति त्रिपाठी कांग्रेस के टिकट पर मिर्जापुर की मड़िहान सीट से विधायक रह चुके हैं। अब सबकी नजरें भाजपा प्रत्याशी के नाम पर टिक गई हैं। सपा जिलाध्यक्ष प्रदीप यादव ने कहा कि शीर्ष नेतृत्व का निर्णय है। वाराणसी में कांग्रेस की राजनीति का केंद्र औरंगाबाद हाउस (पं. कमलापति त्रिपाठी का आवास) माना जाता था। 

 

पूर्व सांसद राजेश मिश्रा के बीजेपी में जाने के बाद खेला गया दांव
डॉ. राजेश मिश्र के जीतने के बाद कांग्रेस की राजनीति का केंद्र दो भागों में बंट गया। औरंगाबाद और राजेश मिश्रा के घर खजूरी हाउस नए केंद्र बने तो जरूर लेकिन इनक खींचताजन जगजाहिर है।  राजेश मिश्रा ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। चर्चा है कि बीजेपी उन्हें भदोही का टिकट थमा सकती है। जिसके बाद ललितेश पति के नाम की घोषणा की गई।

सपा प्रमुख से मुलाकात के बाद ही ललितेशपति के लड़ने की थी चर्चा 
यूपी की सियासत में त्रिपाठी परिवार प्रतिष्ठित माना जाता है। भदोही लोकसभा की सीट इंडी गठबंधन के तहत तृणमूल के खाते में जाने की चर्चा तब ही शुरू हो गई थी, जब ललितेश मणि त्रिपाठी की फोटो यूपी के पूर्व सीएम व सपा मुखिया अखिलेश यादव के साथ वायरल हुई थी। शुक्रवार की देर शाम टीएमसी प्रत्याशी के रूप में उनके नाम की घोषणा के साथ कयासों पर विराम लग गया। 

कभी प्रियंका गांधी के करीबी हुआ करते थे ललितेश
मिर्जापुर के मड़िहान के पूर्व विधायक व टीएमसी नेता ललितेश पति त्रिपाठी कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। 2021 में उन्होंने पार्टी पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कांग्रेस छोड़ दिया था। वह प्रियंका गांधी के करीबी माने जाते थे। उन्होंने साल 2012 में मड़िहान विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की थी। साल 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए थे। भूतपूर्व सीएम, रेल मंत्री कमलापति त्रिपाठी की चौथी पीढ़ी ललितेश पति त्रिपाठी को औरंगाबाद हाउस का मुख्य चेहरा माना जाता है। कमला पति त्रिपाठी 1973, 1978, 1980, 1985 और 1986 में कांग्रेस की ओर से राज्यसभा के सांसद भी बने। वह मझवां से विधायक रहे। ललितेश के पिता राजेश पति त्रिपाठी विधानसभा और लोकसभा का चुनाव नहीं जीत सके लेकिन वो एमएलसी जरूर रहे। टीएमसी से ललितेश के नाम की घोषणा के बाद राजनीतिक विश्लेषण इसे मास्टर स्ट्रोक मान रहे हैं।

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