संविधान के अनुसार 18 वर्ष से अधिक उम्र के किसी भी नागरिक को वोट देने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। इसके कारण, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, (आरपी अधिनियम) कहता है कि प्रत्येक उद्यम को अपने क्षेत्र में मतदान के दिन सवैतनिक छुट्टी घोषित करनी होगी। चाहे वह केंद्र हो या राज्य।"
नई दिल्ली। वोट देने का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है, इस प्रकार 18 वर्ष से अधिक आयु का प्रत्येक व्यक्ति भारत में वोट देने का हकदार है। यदि कोई नियोक्ता मतदान के दिन सवैतनिक छुट्टी नहीं देता है, तो कर्मचारी इलेक्शन कमीशन या राज्य चुनाव आयोग से संपर्क कर सकता है।
इन दिवसों में होंगे चुनाव
भारत के चुनाव आयोग ने 16 मार्च को घोषणा की कि लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से 1 जून तक 7 चरणों में होंगे। चुनाव 19 और 26 अप्रैल, 7 मई, 13, 20, 25, और 1 जून को मतदान होंगे। 25 मई को छोड़कर, ये सभी कार्यदिवस हैं। इससे एक प्रश्न उठता है कि क्या मतदान के दिन कर्मचारियों के लिए सवैतनिक अवकाश हैं? कानून क्या कहता है? दिल्ली में 25 मई, शनिवार को मतदान होना है।
हर नागरिक को मतदान करने का है अधिकार
वोट देने का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है। इसलिए संविधान के अनुसार 18 वर्ष से अधिक उम्र के किसी भी नागरिक को वोट देने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। इसके कारण, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, (आरपी अधिनियम) कहता है कि प्रत्येक उद्यम को अपने क्षेत्र में मतदान के दिन सवैतनिक छुट्टी घोषित करनी होगी। चाहे वह केंद्र हो या राज्य।"
दूसरे राज्यों में कार्यरत कर्मचारियों को भी अवकाश देना अनिवार्य
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड ऋषि सहगल ने बताया कि यह प्रावधान सार्वजनिक और निजी दोनों संगठनों पर लागू है। दैनिक वेतन भोगी मजदूरों और कैजुअल कर्मचारियों को भी सवेतन छुट्टियां दी जानी चाहिए। यह नियम उन कर्मचारियों पर भी लागू होता है, जो आम तौर पर उस निर्वाचन क्षेत्र के निवासी हैं। जहां चुनाव हो रहे हैं, लेकिन इसके बाहर कार्यरत हैं। मसलन, यदि चेन्नई का निवासी कोई मतदाता दिल्ली में कार्यरत है, तो मतदाता चेन्नई में चुनाव के दिन छुट्टी का हकदार है।
इन सेक्टर्स में RP अधिनियम नहीं होता लागू
RP अधिनियम के अनुसार, "यह धारा किसी भी निर्वाचक पर लागू नहीं होगी। जिसकी अनुपस्थिति से उस रोजगार के संबंध में खतरा या पर्याप्त नुकसान हो सकता है, जिसमें वह लगा हुआ है।" अर्थात्, ऐसे कर्मचारियों को कोई सवैतनिक अवकाश प्रदान करने की आवश्यकता नहीं है, जो ऐसी प्रकृति के काम में लगे हुए हैं कि उनकी अनुपस्थिति से नियोक्ता को खतरा पैदा हो सकता है या पर्याप्त नुकसान हो सकता है। जैसे पुलिस, अर्द्धसैनिक बल, तीनों सेना, खुफिया डिपार्टमेंट समेत अन्य विभाग।
सवैतनिक अवकाश न देने वालों पर जुर्माने संग हो सकती है FIR
यदि कोई नियोक्ता मतदान के दिन सवैतनिक अवकाश नहीं देता है, तो कर्मचारी भारतीय निर्वाचन आयोग या उसके द्वारा नामित प्राधिकारी से संपर्क कर सकता है। एसकेवी लॉ ऑफिस के वरिष्ठ सहयोगी अनंत सिंह उबेजा ने बताया, "ऐसे मुद्दों का सामना करने वाले कर्मचारी चुनाव आयोग या राज्य चुनाव आयोग में शिकायत कर सकते हैं।" शिकायत की ईसीआई जांच करने और आरपी अधिनियम के अनुसार 500 रुपये का जुर्माना लगाने का हकदार है। ईसीआई किसी सार्वजनिक प्राधिकरण के आदेश का उल्लंघन करने के लिए एफआईआर भी दर्ज कर सकता है।
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Last Updated Mar 17, 2024, 12:15 PM IST