लखनऊ। आमतौर पर अपराधियों को जेल उन्हें सुधारने के लिए भेजा जाता है। लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनाधी लखनऊ में एक ऐसा मामला सामने आया है। जिसमें अपराधी किसी छोटे अपराध में जेल तो पहुंचे और वहां उन्हें बड़े अपराध करने की ट्रेनिंग मिली और बाहर आकर उन्होंने बाहर आकर अपना गैंग ही बना लिया। हालांकि एक जुर्म ने उन्हें फिर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।

राजधानी के मड़ियांव थाने की पुलिस ने चार चोरों को पकड़ा है। ये चोर जेल में अपराधियों से नए हथकंडे सीखकर बाहर आए थे और इसके बाद इन्होंने अपना गैंग बना लिया और फिर चोरी करने लगे। इन चार चोरों को मड़ियांव पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और अब इन्हें फिर जेल भेजने की तैयारी चल रही है।

आरोपी इतने शातिर हैं कि वह मोबाइल फोन का आईएमईआई नंबर तक बदल देते थे जिससे पुलिस उन्हें पकड़ नहीं पाती थी। इन आरोपियों के पास से चोरी का सामान तो बरामद हुआ ही है साथ ही चोरी की लाइसेंसी रिवाल्वर भी बरामद हुई है। महज कुछ ही दिनों में इन्होंने 38 घटनाओं को अंजाम देने की बात कबूली है। 

पुलिस के मुताबिक मड़ियांव पुलिस ने आईआईएम रोड स्थित यादव चौराहे पर स्कूटी सवार दो युवकों को पकड़ा। इन लोगों की तलाशी लेने के बाद पुलिस उनके पास से एक लाइसेंसी रिवाल्वर और तमंचा मिला। आरोपियों की पहचान सीतापुर के तालगांव उमरिया निवासी अजीत और कृष्णानगर के विजयनगर के शैलेन्द्र उर्फ विक्की के रूप में हुई।

जब इन लोगों से कड़ी पूछताछ की गयी तो इन्होंने अपने गिरोह के दूसरे साथियों के नाम भी बताए फिर पुलिस ने दबिश देकर इन दो साथी इम्तियाज और रिंकू को भी गिरफ्तार कर लिया। अजीत इंदिरानगर थाने से चोरी के मामले में जेल जा चुका है।

जेल में जाने के बाद उनसे साइबर अपराधियों से दोस्ती गांठकर कई हथकंडे सीखे और बाहर आकर गैंग तैयार किया। जांच में सामने आया है कि अजीत ने छह जुलाई को विक्की और अंकुल के साथ भिठौली चौराहे पर अखलाक को गोली मारी थी। वहीं जानकीपुरम गार्डेन में चोरी करके रिवाल्वर व सामान पर हाथ साफ किया था।