भोपाल। मध्य प्रदेश में भाजपा का ऑपरेशन लोटस सफल होता दिख रहा है और अब मध्य प्रदेश कर्नाटक बनने की राह पर है। कांग्रेस के 19 विधायकों ने राज्य की कमलनाथ सरकार से समर्थन वापस लेने के साथ ही अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिया है। हालांकि विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष से मिलकर इस्तीफा नहीं दिया है। लेकिन अब सारा दारोमदार विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति पर है। हालांकि अभी तक उन्होंने इस्तीफों को मंजूर नहीं किया है। माना जा रहा है कि जिस तरह से कर्नाटक के मामले में सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा था, उस तरह की कोई भी गलती विधानसभा अध्यक्ष नहीं करेंगे।

मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है। राज्य सरकार को बचाने के लिए कमलनाथ और कांग्रेस के संकटमोचक कहे जाने वाले दिग्विजय सिंह की सभी तरह की कोशिशें विफल हुई हैं। वहीं सोमवार को कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है और वहीं कांग्रेस ने उन्हें पार्टी बाहर का रास्ता दिखा दिया है। जिसके बाद राज्य में कमलनाथ सरकार पर संकट पर गहरा गया है। दोपहर में भाजपा नेता और मध्य प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और नरोत्तम मिश्रा ने विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति से उनके आवास पर मुलाकात की और कांग्रेस के इस्तीफा देने वाले 19 विधायकों की सूची उन्हें सौंपी।  

उधर 19 विधायकों की सूची मिलने के बाद अब सारा खेल विधानसभा अध्यक्ष के पाले में है। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष  ने कहा कि जो नियम हैं उसके मुताबिक ही कार्यवाही की जाएगी। गौरतलब है कि कर्नाटक में विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कीविधायकों के इस्तीफा को नामंजूर करने को लेकर काफी किरकिरी हुई और इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था और जहां विधायकों के पक्ष में फैसला सुनाया गया था। जिसके बाद राज्य में बीएस येदियुरप्पा की अगुवाई में भाजपा की सरकार बनी थी। 

कमलनाथ के करीबी माने जाते हैं विधानसभा अध्यक्ष

मध्य प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति कांग्रेस मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं। हालांकि राज्य में 16 मार्च से सदन शुरू हो रहा है। अब ये इस बात पर निर्भर करता है कि क्या वह पहले भाजपा के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराते हैं या फिर कमलनाथ सरकार को कुछ दिनों का समय देते हैं। उधर आज शाम को कमलनाथ के घर पर हुई बैठक में कांग्रेस के 88 विधायकों ने हिस्सा लिया। इससे साफ हो गया है कि राज्य में  कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है।