ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में डेढ़ साल से अनसुलझी पहेली बने बुजुर्ग महिला सुसाइड केस में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पुलिस ने इस प्रकरण में मृतका के बेटी-दामाद को ही दोषी माना है, वो भी पूरे साक्ष्य के साथ। पुलिस ने इस संबंध में बेटी-दामाद समेत 3 लोगों के खिलाफ आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मुकदमा 16 महीने बाद रजिस्टर्ड किया है। जिसका आधार महिला के उस सुसाइड नोट को बनाया गया है, जो पुलिस को 8 महीने बाद उसके बेटे की तिजोरी में मिला था।

गेहूं में रखने वाली टिकिया खाकर महिला ने की थी आत्महत्या
ग्वालियर जनपद के गिरवाई थानांतर्गत सिकंदर कंपू इमलीनाका की रहने वाली सरस्वती देवी (63) पत्नी प्रीतम सिंह यादव ने 6 दिसंबर 2022 को गेहूं में रखने वाली टिकिया (सल्फास) खा लिया था। बेटे जितेंद्र यादव ने वेदांता हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। जहां इलाज के दौरान उसी रात 1.45 बजे उसकी मौत हो गई थी। पुलिस यह थ्यौरी नहीं सुलझा पा रही थी कि आखिर खुशकुशी की वजह क्या है। इसके लिए उसने परिवार से कई बार पूछताछ की लेकिन कोई क्ल्यू नहीं मिल रहा था। 

 

8 महीने बाद लॉकर में मिली आत्महत्या करने की वजह 
सरस्वती के पास इमलीनाका में 2 मकान थे, खेती की जमीन थी, फिर आत्महत्या के लिए वह क्यों मजबूर हुई, यह सवाल  घटना के बाद से ही पुलिस काे खटक रहा था। इसी बीच कुछ कागजात ढूंढने के लिए अपना लॉकर खंगाल रहे जितेंद्र यादव को 8 माह बाद 30 जुलाई 2023 को एक सुसाइड नोट मिला। जिसमें लिखा था कि प्रीति धाकड़- रामकिशोर (बेटी-दामाद) और उनका परिचित सतीश यादव मकान और जमीन में हिस्सा मांग रहे हैं। मना करने पर रोज धमकाते हैं। कह रहे हैं कि अगर मकीन, जमीन नहीं देना है तो 20 लाख कैस दो। उनकी धमकियों  से तंग आकर मैं  जान दे रही हूं।

हैंड राइटिंग एक्सपर्ट से जांच के बाद पुलिस ने दर्ज किया केस
बेटे ने वह सुसाइड नोट पुलिस काे दिखाया। पुलिस ने  हैंड राइटिंग एक्सपर्ट की मदद ली। उसके बारे में गहन छानबीन की गई। जब पुलिस आश्वस्त हो गई कि सुसाइड नोट की हैंडराइटिंग सरस्वती की ही है, तब जाकर 5 अप्रैल 2024 को बेटी, दामाद और सतीश यादव के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया। CSP अशोक सिंह जादौन ने बताया कि सरस्वती की हैंड राइटिंग बैंक पासबुक के सिग्नेचर से मैच कराई गई। तमाम जांचों को पूरा करने में थोड़ा समय लग गया। 

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