मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के विरोध को खारिज करते हुए करुणानिधि का अंतिम संस्कार मरीना बीच पर करने की इजाजत दे दी। डीएमके ने याचिका दाखिल कर मांग की थी कि दिवंगत सीएम को उनके राजनीतिक गुरु सीएन अन्‍नादुरई के बगल में दफनाया जाए। राज्य सरकार ने इसकी इजाजत नहीं दी थी।

राज्य सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए प्रोटोकॉल का तर्क दिया था। राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि पूर्व सीएम की अंत्येष्टि मरीना बीच पर नहीं की जी सकती।
डीएमके के वकील ने हाईकोर्ट के फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि कोर्ट ने करुणानिधि की अंत्येष्टि अन्नादुरई मेमोरियल के पास करने की डीएमके की मांग वाली याचिका को मान लिया है। कोर्ट ने सरकार को 'कलाईनार' स्मारक बनाने का भी आदेश दिया है।

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तमिलनाडु सरकार के वकील ने कोर्ट में कहा था कि डीएमके इस मामले के जरिए राजनीतिक अजेंडा साधने की कोशिश कर रही है। 


सरकार ने जवाबी हलफनामा दाखिल किया था। सरकार ने कोर्ट में कहा कि दिवंगत करुणानिधि ने अपने मुख्यमंत्री काल में प्रोटोकॉल मैन्युअल को समझने के बाद पूर्व सीएम जानकी रामचंद्रन के लिए मरीना बीच पर जमीन नहीं दिया था। सरकार कह रही थी कि पूर्व मुख्यमंत्रियों का मरीना बीच पर अंतिम संस्कार नहीं किए जाने की परंपरा है। 


हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को मरीना बीच पर दिवंगत करुणानिधि की समाधि बनाने देने को लेकर एक शपथपत्र दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता शपथपत्र में यह दर्शाएं कि उन्हें मरीना बीच पर पूर्व सीएम की समाधि से कोई दिक्कत नहीं है। इसके बाद वकील ने कोर्ट के सामने मेमरैन्डम दाखिल किया। 

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बता दें कि विवाद ऐसे समय में खड़ा हुआ, जब चेन्नै निगम को मरीना बीच पर शवों का अंतिम संस्कार की इजाजत देने से रोकने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका को मद्रास हाईकोर्ट से वापस ले लिया गया है। डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने करुणानिधि के लंबे सार्वजनिक जीवन का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री से मरीना बीच पर दिवंगत करुणानिधि को उनके गुरु सीएन अन्नादुरई के समाधि परिसर में जगह देने की मांग की थी। 


पूर्व मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन और उनकी बेहद करीबी जयललिता को भी मरीना बीच पर ही दफनाया गया था। वहां उनके स्मारक भी हैं।