वाराणसी : पूर्वी उत्तर प्रदेश के बड़े माफिया सरगना में से गिने जाने वाले अतीक अहमद ने पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से पर्चा दाखिल किया था। जिसके बाद उसने चुनाव प्रचार के लिए खुद को परोल पर रिहा किए जाने की मांग की थी। लेकिन अदालत ने उसकी इस मांग को मानने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद अतीक अहमद ने अपनी उम्मीदवारी वापस लेने का ऐलान कर दिया। 

अतीक ने इस बारे में मीडिया को एक पत्र लिखकर जानकारी दी है। जिसमें उसने कहा है कि परोल न मिलने के कारण वह चुनाव मैदान से हट रहा है और किसी भी प्रताशी का समर्थन नहीं करेगा। 

अतीक के चुनाव एजेंट वकील शाहनवाज आलम ने रविवार को अतीक का नैनी जेल से लिखा पत्र मीडिया के लिए जारी किया। जिसमें अतीक ने चुनाव मैदान से हटने का कारण बताया है। 

इस पत्र में कई आपराधिक मामलों के आरोप में जेल में बंद अतीक अहमद लोकतंत्र की दुहाई देता हुआ नजर आ रहा है। उसने पत्र में लिखा है 'भारत में लोकतंत्र की जड़ें बहुत मजबूत हैं। लेकिन ऐसी विचारधारा के लोग भी मौजूद हैं जो लोकतंत्र को समाप्त करके हिटलरशाही लाना चाहते हैं।'

यानी अतीक जैसे माफिया डॉन भी अब सांप्रदायिकता और लोकतंत्र के लिए अपील करने लगे हैं। अपने पत्र में अतीक ने मतदाताओं से तथाकथित सांप्रदायिक ताकतों को परास्त करने की अपील भी की है।

हालांकि अतीक ने अपना नाम वापस ले लिया है। लेकिन उसने ऐसा करने में बहुत देर कर दी है और अब नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसलिए ईवीएम पर अतीक अहमद का नाम और चुनाव चिन्ह अंकित रहेगा। उसके एलेक्शन शाहनवाज आलम ने जानकारी दी कि उन लोगों की तरफ से किसी तरह का पास या प्रचार के लिए किसी तरह की अनुमति नहीं मांगी जाएगी। 

वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ तेलंगाना के वामपंथी संगठनों से जुड़े 25 किसान समेत 101 लोगों ने नामांकन किया था। जिसमें बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव भी शामिल था। लेकिन उनका नामांकन रद्द हो गया। 

प्रमाण पत्रों और हलफनामों की छंटननी के बाद अब वाराणसी से पीएम मोदी सहित 25 प्रत्याशी मैदान में हैं। यहां लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण यानी 19 मई को वोट डाले जाएंगे।