पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र द्वारा गठित किए गए मुख्यमंत्रियों के समूह से किसानों के संस्थागत कर्ज को माफ करने पर विचार करने को कहा है। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार को इसके लिए उचित बजटीय प्रावधान करने चाहिए। 

केंद्र ने 19 जून को मुख्यमंत्रियों के उप-समूह का गठन किया था। इसे कृषि और मनरेगा योजना के लिए सामूहिक योजना तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इसका समन्वयक बनाया गया है। शिवराज को लिखे पत्र में ममता ने कहा, उन्हें सूचना देर से मिली। इसके चलते वह शुक्रवार को नई दिल्ली में होने वाली बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगी। ममता ने अपनी ओर से बैठक के लिए शिवराज को कुछ सुझाव भेजे हैं। 

पत्र में उन्होंने लिखा, 'छोटे और सीमांत किसानों के कर्ज को माफ किए जाने की आवश्यकता है। इसके लिए केंद्र सरकार को उचित बजटीय प्रावधान करने होंगे। यह सारे प्रयास कम से कम समय में किसानों की आय बढ़ाने के लिए किए जा रहे हैं। इसके लिए सरकार के सभी कार्यक्रम किसानों के कल्याण पर केंद्रित होने चाहिए।' 

उन्होंने मनरेगा में सौ दिन के रोजगार की सीमा को और 100 दिन के लिए बढ़ाने पर जोर दिया है। ममता के मुताबिक, इससे कृषि और हॉर्टीकल्चर के क्षेत्र में किसानों की आजीविका और आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। 

तृणमूल सुप्रीमो ने कहा कि सभी राज्यों की मुख्य फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाना चाहिए। किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए एक संस्थागत तंत्र विकसित किए जाने की आवश्यकता है। 

आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के मुख्यमंत्रियों के अलावा नीति आयोग के सदस्य रमेश चांद इस उप-समूह में शामिल हैं।