मध्य प्रदेश के मंदसौर के बहुचर्चित गैंगरेप और हत्या के प्रयास के मामले में विशेष अदालत ने दोनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट पहले ही दोनों को दुष्कर्म का दोषी ठहरा चुकी है। सात वर्षीय पीड़िता ने विशेष अदालत में चल रही सुनवाई के दौरान दोनों आरोपियों इरफान और आसिफ की पहचान की थी। इस मामले में 56 दिन में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी तुरंत सुनाए गए फैसले के लिए अदालत का आभार जताया है।

26 जून को इरफान और आसिफ ने छुट्टी के बाद बच्ची का स्कूल के बाहर से अपहरण कर लिया था। बच्ची दूसरे दिन सुबह झाड़ियों में बेहोशी की हालत में मिली थी। उसका गला रेत कर मारने का प्रयास किया गया था। उसे गंभीर हालत में इंदौर के एमवाई अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 

डॉक्टरों के  अनुसार, हमलावरों ने बच्ची के सिर, चेहरे और गर्दन पर धारदार हथियार से हमला किया था। साथ ही उसके प्राइवेट पार्ट्स को चोट पहुंचाई गई थी। बच्ची के कई ऑपरेशन करने पड़े। पीड़िता को काफी समय तक आईसीयू में रहना पड़ा था। इस घटना को लेकर मंदसौर में काफी बवाल हुआ था। पूरे प्रदेश में लोगों ने आरोपियों को तुरंत फांसी देने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किए थे। 

पुलिस ने बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसकी हत्या की कोशिश के आरोप में दोनों युवकों इरफान और आसिफ को घटना के 48 घंटे के अंदर गिरफ्तार कर लिया था। इस मामले में पुलिस ने कुल 35 गवाह पेश किए थे। रिकॉर्ड 20 दिन में चालान पेश कर दिया गया था। पुलिस ने कोर्ट में लगभग 200 पन्नों के दस्तावेज पेश किए थे।