-केन्द्र सरकार बनाएगी 40 लाख टन चीनी के बफर स्टॉक 

केन्द्र सरकार ने खस्ताहाल चीनी उद्योग को आज बड़ी राहत दी है। केन्द्र सरकार ने चीनी मिलों को राहत देते हुए 40 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने का फैसला किया है। वहीं बाजार में चीनी की कीमतों को देखते हुए केन्द्र सरकार ने अगले गन्ना सीजन में गन्ने की कीमतों में इजाफा न करने का फैसला किया है। असल में केन्द्र सरकार ने ये बड़े फैसले महाराष्ट्र में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए लिए हैं। क्योंकि महाराष्ट्र में साठ फीसदी विधानसभा की सीटें गन्ना राजनीति से प्रभावित हैं।

आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने चीनी मिलों को बड़ी राहत दी है। इसके तहत अब सरकार चीनी मिलों के लिए बफर स्टॉक बनाएगी जिसके तहत इसमें 40 लाख टन चीनी का चीनी मिलों से खरीदेगी। ताकि बाजार में उतरते गिरते भावों का असर चीनी मिलों पर न पड़े।

यही नहीं सरकार ने अगले गन्ना सत्र के लिए गन्ने के लिए एफआरपी( उचित और लाभकारी मूल्य) को न बढ़ाने का फैसला किया है। इससे चीनी मिलों को गन्ना का अतिरिक्त मूल्य गन्ना किसानों को नहीं चुकाना पड़ेगा। जानकारी के मुताबिक सरकार 1 अगस्त से 40 लाख टन का बफर स्टॉक बनाएगी।

इसके लिए सरकार चीनी मिलों  को करीब 1700 करोड़ रुपये की सब्सिडी देगी। गौरतलब है कि 2018-19 के लिए सरकार ने एफआरपी 275 रुपये प्रति क्विंटल रखा था। जो आगामी गन्ना सीजन में भी यही रहेगा। जिससे चीनी मिलों को फायदा होगा।

असल में केन्द्र के इस फैसला का असर महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा। क्योंकि राज्य में गन्ना एक बड़ा मुद्दा है। जिसके जरिए राजनैतिक दल किसानों को साधते हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा को महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में अच्छी सीटें मिली हैं।

जहां पर गन्ना किसान काफी प्रभावी माना जाते है। अगर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में गन्ना राजनीति से प्रभावित होने वाली सीटों पर नजर डालें तो यहां पर 50 से ज्यादा सीटें सीधे तौर पर गन्ना किसानों के वोट के जरिए प्रभावित होती हैं।

केन्द्र सरकार के इस फैसले के बारे में ऑल इंडिया शुगर ट्रेड एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी संजय तापरिया कहते हैं कि केन्द्र सरकार के इस फैसले से चीनी उद्योग को जरूर राहत मिलेगी। उनका कहना है कि चीनी उद्योग खस्ताहाल है। हालांकि केन्द्र सरकार का ये ऐलान काफी नहीं है। लेकिन इससे राहत जरूर मिलेगी।


बहरहाल महाराष्ट्र में इस साल के आखिर में चुनाव होने हैं। राज्य के सोलापुर,सांगली,पुणे,कोल्हापुर, नासिक,सतारा,अहमदनगर,धुले, नंदूरबार, जलगांव, औरंगाबाद, बीड़, परभणी, हिंगोली,नांदेण, उस्मानाबाद, लातूर, बुलढाणा, जालना, यवतमाल, अकोला, अमरावती, वर्धा, नागपुर जिले में पर गन्ना किसान सीधे तौर पर राजनैतिक दलों का भविष्य तय करते हैं।

इस तरह से देखें तो महाराष्ट्र में करीब साठ विधानसभा सीटें गन्ना राजनीति से जुड़ी हुई हैं। लिहाजा केन्द्र सरकार के बफर स्टॉक बनाने के फैसले से चीनी मिलों को गन्ना किसानों को उनका बकाया देना आसान हो जाएगा।

वहीं एसोसिएशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आरपी भागरिया कहते हैं कि केन्द्र सरकार के इस फैसले से चीनी मिलों के साथ ही किसानों को भी फायदा मिलेगा। क्योंकि इससे चीनी मिलों को किसानों का बकाया देने में मदद मिलेगी। खासतौर से उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे बड़े चीनी उत्पादक राज्यों में। भागरिया का कहना है कि गन्ने का एफआरपी न बढ़ाने के फैसले से चीनी मिलों को कम से कम अगले साल के लिए गन्ने के मूल्यों में बढ़ोत्तरी के बारे में सोचना नहीं होगा। ऐसा कर केन्द्र सरकार ने अच्छा फैसला किया है।