प्रचंड जनादेश के साथ नरेंद्र मोदी के सत्ता में लौटने का असर अमेरिका पर भी दिखाई दे रहा है। भारत के दौरे पर आ रहे अमेरिकी विदेश मंत्री ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के चुनावी नारे को दोहराते हुए कहा कि 'मोदी है तो मुमकिन है'। 

‘इंडिया आइडिया’ शिखर सम्मेलन में पॉम्पियो ने कहा, हम भारत के साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहते हैं। हम मजबूत संबंध स्थापित करते हुए रणनीतिक मोर्चे पर काम करना चाहते हैं, ताकि दोनों देशों को फायदा हो। मोदी और ट्रंप प्रशासन के नेतृत्व में हम भविष्य के लिए संभावनाएं देखते हैं। 

उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मोदी के चुनाव अभियान का नारा था, मोदी है तो मुमकिन है। उन्होंने इसे सच कर दिखाया। अब भारत और अमेरिका के बीच संबंधों के विस्तार को लेकर भी हम ऐसा ही देख रहे हैं। 

हिंद प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन का परोक्ष जिक्र करते हुए पॉम्पियो ने कहा कि दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले लोकतंत्र को सबसे पुरानी डेमोक्रेसी से मिलकर साझा नजरिये पर काम करना चाहिए। साझेदारी, आर्थिक खुलेपन, उदारता और संप्रभुता पर चलते हुए संबंधों को मजबूती देना होगा। 

उन्होंने कहा, व्यापार मुद्दों पर बातचीत के लिए अमेरिका का रुख खुला है। जिन देशों ने अमेरिकी कंपनियों को ‘उचित और पारस्परिक व्यापार’ करने की अनुमति दी उन्होंने देखा कि अमेरिका उनके लिए ज्यादा सुगम है। ‘मेरा मानना है कि उन्हें वास्तविक अवसर मिले हैं।’ 

इस सम्मेलन का आयोजन अमेरिका-भारत व्यापार परिषद ने किया था। पॉम्पियो का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वह इसी महीने भारत की यात्रा करने वाले हैं। इसके अलावा अमेरिका का वर्तमान में मेक्सिको, भारत और चीन समेत कई अन्य देशों से व्यापार संबंधी तनाव भी चल रहा है। अपनी भारत यात्रा के दौरान पॉम्पियो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मुलाकात करेंगे। 24 जून से 30 जून तक पॉम्पियो भारत, श्रीलंका, जापान और दक्षिण कोरिया के दौरे पर होंगे। चीन के अलावा इन देशों की यात्रा से साफ है कि वह क्षेत्र में चीन के मुकाबले शक्ति संतुलन स्थापित करने की अमेरिकी नीति पर अमल कर रहे हैं।