राफेल विमान सौदे को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार लंबे समय से कहती आ रही है कि उसने फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों का जो करार किया है, वह यूपीए के समय हुई डील से सस्ता है। 'माय नेशन' द्वारा देखे गए दस्तावेज में इसे लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। इनके मुताबिक, मोदी सरकार के समय फ्रांस से जो 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदे जा रहे हैं, उनकी कीमत सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली यूपीए की सरकार के समय से कम है। तब कांग्रेस ने फ्रांस से 126 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए करार किया था। 

रक्षा मंत्रालय और वायुसेना ने इस साल राफेल सौदे से जुड़ा एक दस्तावेज तैयार किया था। इसके मुताबिक, मोदी सरकार के समय में एक राफेल विमान 1,646 करोड़ रुपये का पड़ रहा है। इसमें हथियार की लागत, रखरखाव, सिम्यूलेटर्स, मरम्मत में मदद और तकनीकी सहायता शामिल है। वहीं यूपीए शासन के समय जो सौदा किया गया था, उसमें इन सभी सुविधाओं के साथ एक राफेल की कीमत 1,705 करोड़ रुपये बैठती। यानी एक राफेल के लिए यूपीए के दौर में मौजूदा मोदी सरकार के मुकाबले 59 करोड़ रुपये ज्यादा चुकाया जाता।

रक्षा मंत्रालय के इन दस्तावेज के अनुसार, अगर मोदी सरकार अपनी पूर्ववर्ती यूपीए के समय की गई वार्ता पर ही आगे बढ़ती और उसी विमान को खरीदती तो उसे इस समय 255 करोड़ रुपये अतिरिक्त चुकाने पड़ते। दस्तावेज के अनुसार, 36 राफेल विमान की कुल कीमत 59,262 करोड़ रुपये है, जबकि 126 विमानों के लिए यूपीए के समय में 1,72,185 करोड़ रुपये खर्च किए जाने थे। 

यहां तक कि विमान में भारत के लिए विशेष बदलाव पर 9,855 रुपये अतिरिक्त खर्च होने के बावजूद मोदी सरकार ने यूपीए के मुकाबले प्रत्येक विमान पर 59 करोड़ रुपये बचाए हैं। 

एनडीए सरकार लंबे समय से कह रही है कि उसका 36 विमानों का राफेल सौदा यूपीए के समय की गई डील से काफी बेहतर है। यूपीए के दौर में विमान के दाम और क्षमता को लेकर सौदा वार्ता के स्तर पर ही था। राफेल डील को लेकर 'घोटाले' का दावा कर रही कांग्रेस के लिए यह स्थिति असहज हो सकती है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एक साल से राफेल सौदे में कथित घोटाले का आरोप लगाते हुए सरकार से फ्रांस के साथ हुए सौदे का ब्यौरा देने की मांग कर रहे हैं। 

यूपीए के समय से कई अलग खूबियों से लैस होगा विमान

दस्तावेज के अनुसार, मोदी सरकार राफेल के लिए अतिरिक्त मारक क्षमता हासिल करने में भी सफल रही है। यह विमान 150 किलोमीटर रेंज वाली हवा से हवा में मार करने वाली मेटेयर मिसाइल से लैस होगा। यह 300 किलोमीटर रेंज वाली स्कैल्प मिसाइलों से जमीनी ठिकानों को भी तहस-नहस करने में सक्षम होग। खास बात यह है कि ये पैकेज यूपीए के समय हुए सौदे में शामिल नहीं था। 

'माय नेशन' द्वारा देखे गए इन गोपनीय दस्तावेज में यूपीए के समय रक्षा मंत्री रहे एके एंटनी की लिखी उस फाइल की कॉपी भी है, जिसे कमर्शियल बातचीत के बाद अंतिम रूप दिया गया था। रक्षा मंत्रालय और इसकी वित्तीय इकाई ने पूरी प्रक्रिया की पड़ताल की थी, ताकि सबसे कम बोली लगाने वाले का निर्धारण किया जा सके। इसी आधार पर भारत ने यूरोपियन यूरोफाइटर टायफून पर राफेल को वरीयता दी थी। 

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