उत्तर प्रदेश में नक्सली एक बार फिर अपनी पैठ बनाने की तैयारी में है। इस बार नक्सली अपनी मॉडस ऑपरेंडी बदलकर काम करने कर रहे हैं। नक्सली मदरसों और शिक्षण संस्थाओं के जरिए राज्य में अपनी पैठ बनाने की तैयारी में है। जबकि कुछ साल पहले ही उत्तर प्रदेश को नक्सल फ्री राज्य घोषित कर दिया गया था।

असल में नक्सली ने अपने कार्य करने की रणनीति को बदला है। वह इस बार शिक्षण संस्थाओं के जरिए अपनी पैठ को बनाना चाह रहे हैं। इसका खुलासा कुछ दिन पहले भोपाल में पकड़े गए श्रीवास्तव दंपति से पूछताछ में हुआ है। इन नक्सलियों की जड़े राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के कई मदरसे व शिक्षण संस्थानों के छात्र तक पहुंची हुई है।

क्योंकि ये सॉफ्ट टारगेट हैं। पूछताछ में जो खुलासा हुआ है उसके मुताबिक नक्सली छात्रों के सीधे संपर्क में हैं और उनको प्रोत्साहित करने के लिए धन भी मुहैया करा रहे हैं। भोपाल से गिरफ्तार हुए श्रीवास्तव दंपत्ति से पूछताछ और उनसे बरामद साक्ष्यों के आधार पर इसका पता चला है।

इस बात को लेकर एटीएस भी काफी परेशान है क्योंकि जिस तरह से ये मदरसों को टारगेट कर रहे हैं वह भविष्य में किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकता है। फिलहाल यूपी एटीएस एटीएस राज्य में नक्सलियों के जड़ों को तलाश रही है।

गौरतलब है कि यूपी की एटीएस को 8 जुलाई को बड़ी सफलता मिली थी। एटीएस ने भोपाल से शिक्षक दंपति मनीष श्रीवास्तव व अमिता श्रीवास्तव को गिरफ्तार किया था। इनके पास से मोबाइल और लैपटॉप सहित अन्य दस्तावेजों से एटीएस को मदरसों व शिक्षण संस्थानों के छात्रों को फंडिंग के सुबूत भी मिले हैं।

मनीष और अमिता के पास से एक लाख दस हजार रुपये बरामद हुए थे। यूपी एटीएस को श्रीवास्तव दंपति से आठ-दस लिफाफों में पांच-दस हजार रुपये की रकम मिली है। जिन्हें अलग-अलग जगहों पर पहुंचाया जाना था। वास्तव में यह लिफाफे बैठकों व नक्सली साहित्य आदि के लिए उपलब्ध कराये जाने थे।

जांच में पता चला है कि नक्सली समर्थकों ने मदरसों व शिक्षण संस्थानों को निशाना बना रहे हैं। मदरसे और शिक्षण संस्थान नक्सली समर्थकों के साफ्ट टारगेट हैं। इसमें लखनऊ, कानपुर, एनसीआर, अलीगढ़, वाराणसी, इलाहाबाद समेत कई अन्य जिलों के मदरसे व शिक्षण संस्थान शामिल हैं।