पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर ‘बांग्ला’ रखे जाने का भी प्रस्ताव केन्द्र सरकार के पास लंबित है। इसके साथ ही कई और भी गांवों, शहरों और राज्यों के नाम बदलने पर विचार चल रहा है। 

केन्द्र सरकार ने आंध्र प्रदेश में ईस्ट गोदावरी जिले के राजामुंदरी को राजामहेंद्रवरम, उड़ीसा में भद्रक जिले के आउटर व्हीलर को ए पी जे अब्दुल कलाम आइलैंड, केरल में मलप्पुरा जिले के एरिक्कोड को एरिकोड, हरियाणा में जींद जिले के पिंडारी को पांडु-पिंडारा किए जाने के लिए मंजूरी दे दी है। 

इनके अलावा महाराष्ट्र में सांगली जिले में लांडगेवाड़ी को नरसिंहगांव, हरियाणा में रोहतक जिले के गढ़ी सांपला को सर छोटू राम नगर, राजस्थान में नागौर जिले के खाटू कलां गांव को बड़ी खाटू, मध्य प्रदेश में पन्ना जिले के महगवां छक्का को महगवां सरकार और महगवां तिलिया को महगवां घाट, उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर के शुक्रताल खादर को सुखतीर्थ खादर और शुक्रताल बांगर को सुखतीर्थ बांगर करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी जा चुकी है। 

किसी जगह का नाम बदला जाना एक लंबी प्रक्रिया होती है। इसमें कई केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों की भागीदारी होती है।

गृह मंत्रालय जगहों के नाम बदलने के प्रस्ताव पर कई एजेंसियों के साथ सलाह करता है। जिसके बाद मौजूदा दिशा-निर्देशों के हिसाब से फैसला दिया जाता है। इसके बाद रेल मंत्रालय, डाक विभाग और सर्वे ऑफ इंडिया से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने के बाद ही जगह का नाम बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी जाती है। 

यह संगठन अपने अपने रिकॉर्ड में यह चेक करते हैं कि जिस नाम का प्रस्ताव दिया गया है वह नाम इनके रिकॉर्ड में पहले से तो नहीं है।

 किसी गांव या शहर का नाम बदलने के लिए कार्यकारी आदेश ही पर्याप्त होता है जबकि राज्य का नाम बदलने के लिए संसद के जरिए संविधान में बदलाव करना होता है। 
पश्चिम बंगाल का नाम बांग्ला करने के लिए भी राज्य सरकार ने प्रस्ताव दिया है। लेकिन गृह मंत्रालय ने यह प्रस्ताव विदेश मंत्रालय के पास भेजा है। जिसके साथ यह नोट लगाया गया है कि यह नाम पड़ोसी देश बांग्लादेश से मिलता जुलता है। 

उधर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने जानकारी दी है कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले अहमदाबाद का नाम बदलकर कर्णावती रख दिया जा सकता है।