ये आम मध्यमवर्गीय लोग हैं। सुबह होती है दफ्तर भागने की जद्दोजहद के साथ तो शाम इंतजार कर रहे बच्चों को चंद मिनटों तक गले लगाने की ख्वाहिश में ऑफिस से घर को भागते हुए। दुनिया इसी में सिमटी रहती है। तिनका-तिनका जोड़ सालों की मेहनत के बाद ये आशियाना बनाते हैं। उसमें भी छल हो तो भला ये कहां जाएं।
गाजियाबाद के श्यामा पार्क एक्सटेंशन में ए ब्लॉक के 58 और 59 नंबर इमारतों को जीडीए वाले अचानक से खाली कराने लगे। कहते हैं कि बारिश के बाद बिल्डिंग में पिलर धंसने लगा है, सो घर खाली करना पड़ेगा।
इन्हें ये भी नहीं पता, किसने लूटा, कैसे लूटा लेकिन सच तो यही है कि आज इन सब का सब कुछ लुट गया है। फाइनेंस विभाग में कार्यरत उदय श्रीवास्तव ने अपने खून पसीने की गाढ़ी कमाई से 7 साल पहले 1600000 रुपए में जिस घर को खरीदा था। वही घर आज इन्हें खाली करना पड़ रहा है, वो भी जबरन।
"
जिस बिल्डर ने इन मकानों को बनवाया था वह अब अनजान बन रहा है। बिल्डिंग को गिराया जाएगा और बिल्डिंग गिराने का काम जीडीए करेगा। GDA मकान इसलिए खाली करवा रहा है कि उसे आशंका है कि बिल्डिंग में दरार आ गई है और वह कभी भी गिर सकती है। जीडीए की चिंताएं वाजिब है लेकिन उन मजबूर लोगों का क्या गुनाह जो अपना घर होने के बावजूद फिर से किराये के घरों में रहने को मजबूर हो रहे हैं।
"
दिल्ली-एनसीआर में इमारतों के निर्माण में मानकों का कितना ध्यान रखा जा रहा है, इसकी पोल अक्सर खुलती रहती है। दिल्ली से लेकर गाजियाबाद और नोएडा में इमारतें जमीदोज़ हो चुकी हैं, लोगों की जान गई है। सवाल है कि जब इन इमारतों की निर्माण हो रहा होता है तो संबंधित अथॉरिटी के लोग कहां होते हैं। उस वक्त इस बात का मुआयन क्यों नहीं किया जाता है जब ऐसी बिल्डिंग्स बन रही होती हैं। ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब लेने के लिए माय नेशन ने गाजियाबाद की डीएम और जीडीए की उपाध्यक्ष रितु माहेश्वरी से संपर्क तो साधा पर कोई जवाब नहीं मिला।
Last Updated Jul 30, 2018, 12:16 PM IST