एनजीटी की बैठक में उत्तर प्रदेश की तरफ से मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडे ने ली बैठक में हिस्सा लिया और बैठक के बाद बिना बयान दिए निकल लिये। दिल्ली एनसीआर में बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर और पड़ोसी राज्यों के किसानों द्वारा जलाई जा रही पराली समेत कई  मुद्दों पर चर्चा हुई।

एनजीटी ने कहा की जो किसान फसल जलाते हुए पकड़े गए है, उनको राज्य सरकार द्वारा दी जा रही बिजली माफ़ी जैसी छूट न दी जाए।पंजाब, हरियाणा , यूपी जैसे राज्यों में इसे लागू करने को कहा है। साथ ही एनजीटी ने यह भी कहा कि केंद्रीय कृषि सचिव सभी राज्यों के चीफ सेक्रेटरी के साथ रेगुलर मीटिंग करगे ।

एनजीटी 30 अप्रैल को अगली सुनवाई करेगा। केंद्र सरकार , राज्य सरकारों के साथ बातचीत कर प्लान पेश करेगी ताकि फसल जलाने जैसी घटनाओं को रोका जा सके। 

हाल ही में यूपी, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के मुख्य सचिव और कृषि सचिव को पेश होने का आदेश दिया था जिसके बाद 14 नवंबर को दिल्ली के मुख्य सचिव और कृषि सचिव ट्रिब्यूनल में पेश हो गए थे।

कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण को लेकर दिल्ली समेत आसपास के राज्यों में इमरजेंसी जैसे हालात हैं, इसीलिए इस मामले में सुनवाई जल्द किए जाने की जरूरत है जिससे प्रदूषण पर नियंत्रण लगाया जा सके। 

एनजीटी दिल्ली और दिल्ली के आसपास के राज्यों में खेतों में पराली को जलाने से बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर लगाई गई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। पराली को जलाने से रोकने के लिए एनजीटी पिछले कुछ सालों में कई तरह के दिशा-निर्देश राज्य सरकारों को जारी कर चुका है, लेकिन दिल्ली, पंजाब, हरियाणा समेत ज्यादातर राज्यों ने एनजीटी के दिशा-निर्देशों का अभी तक पालन नहीं किया है।

एनजीटी ने सुनवाई के दौरान कृषि मंत्रालय और केंद्र सरकार के अब तक के प्रदूषण को लेकर किए गए प्रयासों और उपायों पर नाखुशी भी जताई थी।कोर्ट ने कहा था कि अब तक जो भी कोशिश की गई है उनसे प्रदूषण पर लगाम नहीं लग पाई है लिहाजा समस्या वहीं की वहीं है और प्रदूषण को झेलना लोगों की मजबूरी बन गई है।

कोर्ट ने कहा था कि जो आम लोग पर्यावरण को बचाने में अपना योगदान दे रहे हैं, उनको इन्सेन्टिव मिलना चाहिए जिससे उनकी देखा देखी बाकी और लोग भी प्रदूषण पर लगाम लगाने में अपना योगदान देने के लिए प्रोत्साहित हो।