राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने देश के विभिन्न आतंकी हमले की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार 10 संदिग्धों को कोर्ट में पेश किया है। एजेंसी इन सभी की रिमांड चाहती है ताकि इस्लामिक स्टेट से प्रभावित उनके संगठन और उसकी साजिश के बारे में और ब्यौरा जुटाया जा सके। इस बीच, एनआईए की ओर से आरोपियों के पास मिली विस्फोटक सामग्री को लेकर कुछ सवाल खड़े हो रहे हैं। आरोपियों के पास से कुछ सुतली बम भी बरामद किए गए हैं। आमतौर पर सामान्य पटाखे फोड़ने वाले इनका इस्तेमाल करते हैं। इसे लेकर कुछ लोग सोशल मीडिया पर सवाल उठा रहे हैं और एनआईए के ऑपरेशन पर संदेह जता रहे हैं। 

'माय नेशन' ने इन सुतली बमों के इस्तेमाल को लेकर कुछ बम विशेषज्ञों से बात की। इनमें नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) जैसे संगठन के विशेषज्ञ भी शामिल हैं। आमतौर पर सुतली बमों का इस्तेमाल दिवाली के मौके पर किया जाता है। फिर भी धमाके के लिए सुतली बम का प्रयोग एक बहुत पुराना तरीका है। सेमी-लिक्विड केमिकल अब कम इस्तेमाल किए जाते हैं।

विस्फोट करने की तकनीक का मुख्य आरोपी से बरामद वीडियो

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विशेषज्ञों के अनुसार, इस सुतली बमों का प्रयोग अमोनियम नाइट्रेट में धमाका करने के लिए किया जा सकता है,  क्योंकि किसी भी केमिकल में धमाके के लिए आग जरूरी होती है। आतंकी संगठन अमोनियम नाइट्रेट से बनने वाले बमों का इस्तेमाल कम करते हैं। इसका असर कम होता है और धमाका करने के लिए काफी बड़ी मात्रा में केमिकल चाहिए होता है। यह कई किलोग्राम हो सकता है। हालांकि अमोनियम नाइट्रेट से तैयार बम में धमाका करना काफी आसान होता है। इसके मुकाबले प्लास्टिक विस्फोटक तैयार करने के लिए ज्यादा तकनीक लगती है। 

एनएसजी के एक विशेषज्ञ ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर 'माय नेशन' से कहा, 'निश्चित तौर पर आरोपियों के घर से बरामद इन बमों का इस्तेमाल किया जा सकता था। लेकिन ये सिर्फ अमोनियम नाइट्रेट में धमाका करने में ही मददगार होते। इस तरह के बमों में धमाका करने के लिए आग का इस्तेमाल होता है। इसके लिए आतंकी संगठन बैटरी का इस्तेमाल करते हैं। यहां लगता कि ये आतंकी मॉड्यूल सुतली बमों का इस्तेमाल विस्फोटक में धमाका करने के लिए करना चाहता था। आजकल आतंकी संगठन इस तकनीक का इस्तेमाल कम ही करते हैं। इसकी तुलना में आरडीएक्स काफी शक्तिशाली होता है।'

जांच एजेंसी के मुताबिक, आरोपियों के पास से 25 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री बरामद की गई है। इसमें अमोनियम नाइट्रेट भी शामिल है। बम निरोधक दस्ते के लिए काम करने वाले एक विशेषज्ञ ने बताया कि 'अमोनियम नाइट्रेट से बम बड़ी ही आसानी से तैयार किया जा सकता है। लेकिन इनका असर काफी कम होता है। ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए अमोनियम नाइट्रेट का  बड़ी मात्रा में इस्तेमाल करना होगा। 1996 में अमेरिका में हुए एक आतंकी हमले के लिए कई किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया था।' उन्होंने कहा, 'अगर इस तरह से बनाए गए सेमी लिक्विड केमिकल में कील, पिन को मिलाया गया तो यह काफी नुकसान कर सकता है।'

वहीं दूसरी तरफ किसी भी प्लास्टिक विस्फोटक में धमाका करने के लिए घड़ी की जरूरत होती है। विशेषज्ञ के अनुसार, 'किसी भी प्लास्टिक विस्फोटक में धमाका करने के लिए आग की जरूरत नहीं होती है। एक डेटोनेटर और घड़ी की मदद से इसमें धमाका किया जा सकता है। ये बम काफी नुकसान पहुंचाते हैं। आतंकी संगठन मैकेनिकल और इलेक्ट्रिक डेटोनेटर इस्तेमाल करते हैं। खास बात यह है कि आतंकियों से बरामद सामग्री में 112 अलार्म घड़ी भी हैं।'

'माय नेशन' इस संबंध में आधिकारिक वर्जन के लिए एनआईए के अधिकारियों से भी संपर्क किया लेकिन किसी ने भी बरामद हुए सुतली बम के इस्तेमाल के बारे में कुछ नहीं बताया।