नेशनल डेस्क। नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड से से जुड़े मामलों में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह की फांसी की सजा रद्द करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने मनिंदर सिंह और सुरेंद्र कोली को निर्दोष माना है। बता दें, निठारी कांड में CBI ने 16 मामले दर्ज किए थे, जिसमें 14 मामलों में सुरेंद्र कोली 14मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई थी। वहीं मनिंदर सिंह के खिलाफ दर्ज 6 मामले में उसे तीन में फांसी की सजा सुनाई गई थी। हालांकि दो मामलों में वह पहले ही बरी हो चुका है। 

2005 के निठारी कांड में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

दरअसल, 2005-06 में हुए निठारी कांड में CBI ने चांच के बाद सुरेंद्र कोली को हत्या, बलात्कार और अपहरण के मामलें में मुख्य आरोपी बनाया था। नहीं मनिंदर सिंह को ह्यूमन ट्रैफकिंग का आरोपी बनाया गया था। निचली अदालत के फैसले को दोनों आरोपियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। आरोपियों ने कोर्ट को बताया था कि इन घटनाओं का कोई चश्मदीद ही नहीं हैं। ऐसे में दोनों को फांसी की सजा कैसे सुनाई जा सकती हैं। मामले की सुनवाई करते हुए तथ्यों के आधार पर जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस एस एच ए रिजवी की बेंच ने दोनों को बरी करने का फैसला सुनाया। 

आखिर क्या है निठारी कांड ?

निठारी कांड भारत के इतिहास वीभत्स हत्याकांड है। जहां 2006 में एक युवती को मनिंदर सिंह ने नौकरी देने का साझा दिया था। नौकरी की तलाश में नोएडा आई लड़की वापस घर ही नहीं लौटी। युवती के पिता ने पुलिस में शिकायत की। जिसके बाद 29 दिसबंर को मनिंदर सिंह की आलीशान कोठी के पीछे से पुलिस ने 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल बरामद किए थे। 2005 में मंनिदर के परिवार को वापस पंजाब लौटने पर कोठी में मंनिदर और कोली रहने लगे। इस दौरान उनके घर पर कई कॉल गर्ल्स आया करती थीं। आरोप है कि कोठी के से गुजरने वाले बच्चों को आरोपी पकड़ कुकर्म करते और फिर हत्या कर देते हालांकि गांव लोगों का कहना है, मनिंदर सिंह की कोठी से शरीर के अंगों का व्यापार होता। था, बच्चों को मारकर उनके अंग निकाल विदेशों में बेच दिए जाते थे।