इंटेलिजेंस ब्यूरो(IB) ने आगाह किया है कि इनमें से ज्यादातर बंगाल और मिजोरम में अपने लिए जमीन तलाशनी शुरू कर दी है। 


सूत्रों के मुताबिक, चूंकि बंगाल सरकार ने एनआरसी की जद में आने वाले अवैध प्रवासियों के प्रति सहानुभूति दिखाई है, ऐसे में बंगाल इनकी पसंदीदा जगह बनती जा रही है।


मंगलवार को पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए बंगाल की मुख्यमंत्री और टीमीसी की मुखिया ममत बनर्जी ने कहा कि बंगाल में एनआरसी लागू नहीं होगा। इस दौरान ममता बीजेपी पर हमलावर थीं। उन्होंने कहा कि “एनआरसी की कवायद बंगाल में नहीं चलेगी। बीजेपी वाले हमें चुनौती दे रहे हैं और हमें चुनौती दी जा रही है तो हम इसका कड़ा जवाब देंगे”।


“15 से 20 साल पहले भारत पहुंचे ज्यादातर घुसपैठिये बंगाल सरकार की सहानुभूति की आड़ में बंगाल के मालदा, बालुरघाट, जांगीपुर जैसे सीमावर्ती इलाकों में पहुंचने लगे हैं। इन लोगों की नजर में ये सुरक्षित ठिकाने हैं। इसके अलावा ये अवैध प्रवासी त्रिपुरा और मिजोरम का भी रुख कर रहे हैं” वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इस बात की जानकारी दी है। आशंका इस बात की भी है कि बाग्लादेशी घुसपैठियों में से कुछ दिल्ली-एनसीआर का भी रुख कर सकते हैं।


स्थानीय खुफिया जानकारी के मुताबिक, बंगाल में शिफ्ट हो रहे इन अवैध प्रवासियों को रहने के लिए बुनियादी सुविधा भी उपलब्ध करा सकती है।


एनआरसी का ड्राफ्ट 30 जुलाई को प्रकाशित किया गया था। असम में रह रहे 40 लाख लोग एनआरसी मापदंडों पर खरे नही उतर रहे, ऐसे में उनकी नागरिकता पर ही सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, केंद्र सरकार ने यह साफ कर दिया है कि उनको अपनी पहचान साबित करने के और भी मौके मिलेंगे। 


आपको बता दें कि गुरुवार से एनआरसी से बाहर आने वाले 40 लाख से अधिक लोग अपने दावा और आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं। इसके बाद की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, जो लोग शेष बचेंगे उन्हें विदेशियों के रूप में चिन्हित किया जाएगा और उसके अनुरूप कार्रवाई होगी।