फसल कटाई के मौसम में अक्सर दिल्ली और आस पास के इलाकों में पराली जलाई जाती है। क्योंकि किसानों के पास भारी मात्रा में मौजूद पराली को जलाने के सिवा कोई और विकल्प नहीं बचता। लेकिन इसकी वजह से उठने वाला धुआं कई दिनों तक दिल्ली सहित आस पास के राज्यों की हवा को प्रदूषित करता रहता है। लेकिन नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन पराली से होने वाले प्रदूषण की समस्या का हल निकाल लिया है।
नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन यानी एनटीपीसी बिजली बनाने वाली सरकारी कंपनी है और आम तौर पर यह कोयले से बिजली बनाती है। लेकिन एनटीपीसी की दादरी यूनिट में फसलों पराली आधारित ईंधन से बिजली उत्पादान शुरू किया गया है।
एनटीपीसी के अधिकारियों ने जानकारी दी कि धान और अन्य कृषि अवशेषों से बने गट्ठे (पेलेटस) को कोयले के साथ आशिंक रूप से प्रतिस्थापित कर बिजली उत्पादन की योजना को न केवल अमली जामा पहना दिया गया है बल्कि पराली आधारित ईंधन से बिजली उत्पादन आरंभ कर दिया गया है।
हालांकि पराली की नियमित आपूर्ति मुश्किल है क्योंकि यह सिर्फ फसल कटाई के समय ही उपलब्ध होती है। लेकिन इस दौरान पावर प्लांट में कोयले का उपयोग किया जाएगा। केंद्र सरकार ने भी बायोमास को-फायरिंग प्रोत्साहन के लिए जरूरी नीति निर्देश भी जारी किए है।
एनटीपीसी के इस इस कदम से कृषि अवशेषों के एकत्रीकरण, संग्रहण के क्षेत्र में रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही आम तौर पर कूड़ा समझे जाने वाले कृषि अवशेषों का उपयोग किया जाएगा।
पराली और कृषि अवशेषों को खेतों में जलाए जाने की वजह से वायु प्रदूषण बढ़ने की घटनाएं अक्सर आती रहती हैं। खासकर ऐसे कृषि अवशेष जो पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल नहीं हो पाते। इन्हें किसान फसल कटाई के बाद खेतों में ही जला देते हैं।
लेकिन इससे भारी मात्रा में कार्बन हवा में घुल जाता है जो कि सांस के मरीजों, बच्चों और बुजुर्गों की मुसीबत का कारण बन जाता है।
Last Updated Jan 17, 2019, 6:56 PM IST