इस रथ यात्रा का नाम 'संकल्प रथ यात्रा' रखा गया है और इसे स्वदेशी जागरण मंच के बैनर तले निकाला जा रहा है।  सूत्रों ने माय नेशन को बताया कि इसके पीछे विश्व हिन्दू परिषद् की प्रेरणा है। 

बता दें कि स्वदेशी जागरण मंच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आर्थिक मामलों पर विचार विमर्श करने की संस्था है और संघ परिवार का अभिन्न अंग है।  

मंच ने सभी दिल्लीवासियों से अनुरोध किया है कि वे  इस यात्रा में सपरिवार शामिल हों। 
यह यात्रा सुबह 11 बजे से संघ के कार्यालय के बगल में झंडेवालान मंदिर से शुरू होगी।  जहां से होते हुए यह यात्रा पहाड़गंज से अजमेरी गेट जाएगी। वहां से फिर हौजकाजी होते हुए सीताराम बाजार और तुर्कमान गेट जाएगी। वहां से यात्रा चलेगी  श्रीरामहनुमान वाटिका, सिविक सेन्टर और कनाट प्लेस आऊटर  सर्कल होते हुए पहुंचेगी कलावती सरन अस्पताल और  आकर के आश्रम मेट्रो स्टेशन। 
यात्रा का आगे का रास्ता 102 फुट हनुमान मंदिर से आर्य समाज रोड और आर्य समाज मंदिर करौल बाग होते हुए हाथी वाला चौक जायेगा।  राम रथ यात्रा खालसा कॉलेज से होते हुए शादीपुर डिपो मैट्रो स्टेशन पर समाप्त होगी।  

पिछले कुछ दिनों से विश्व हिन्दू परिषद् ने राम मंदिर बनाने के लिए केंद्र पर बड़ा दबाव बनाया है। बृहस्पतिवार को परिषद् के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि देश की आज़ादी के समय कांग्रेस ने जिस प्रकार इंडिया गेट से जार्ज पंचम की प्रतिमा, ब्रिटिश वायसरायों की प्रतिमाएं नई दिल्ली से हटा दी, अनेक मार्ग जो ब्रिटिश दासता का बोध कराते थे उनको बदला गया। उसी प्रकार अयोध्या में गिराया गया बाबरी ढांचा भी विदेशी दासता का बोध करवाता था और देश के स्वाभिमान पर धब्बा था। 

कुमार 'श्री राम जन्मभूमि राष्ट्रीय धरोहर की पुनर्स्थापना' विषय पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे।  

कुमार ने कहा कि जिस प्रकार शरीर आत्मा निकलने पर मृत हो जाता है और उसे एक दिन भी घर में नहीं रखा जाता उसी प्रकार भगवान् राम के बिना यह भारत भूमि आत्मा विहीन हो जाएगी। अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि देश की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। 

 श्री राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर  सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर अध्यादेश लाकर बनना चाहिए। जिस स्थान पर श्री राम का जन्म हुआ वो स्थान दिव्य है, यह स्थान पूज्य है इसलिए यह बदला नहीं जा सकता, मस्जिद अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा से बाहर कितने भी बड़े स्थान पर बनाई जा सकती है। अयोध्या में श्री राम  जन्मभूमि में भव्य राम मंदिर देश की साम्प्रदायिक और सांस्कतिक एकता को अक्षुण बनाने का बहुत बढ़ा सुअवसर है।

कुमार ने बताया की जैसे अभी अयोध्या में धर्म सभा हुई थी वैसी दिल्ली के रामलीला मैदान में भी करेंगे। उन्होंने कहा "यह अभूतपूर्व सभा होगी इतनी बड़ी सभा दिल्ली ने पहले कभी देखा नहीं होगी। ऐसी 543 धर्म सभाएं देश के सभी लोकसभा क्षेत्रों में एक साथ करेंगे।  उसके उपरान्त सभी सांसदों के पास मतदाता के नाते राममंदिर निर्माण के लिए संसद में अध्यादेश लाने की मांग करेंगे। जनता के इतने बड़े दबाव को जब वह देखेंगे तो वह संसद में इस बिल के विरोध का साहस नहीं कर सकेंगे," कुमार ने कहा।  

राज्य सभा सांसद प्रोफ़ेसर राकेश सिन्हा ने इस अवसर पर कहा कि देश से अंग्रेजों को निकालने और आज़ादी के आंदोलन के तीन चरण थे। 1920 से 30 में असहयोग आंदोलन एक चेतावनी थी, 1930-31 में सविनय अवज्ञा आंदोलन हुआ वह तैयारी थी, और 1942 में भारत छोडो आंदोलन हुआ वह अंग्रेजों की भारत से विदाई थी। इसी तरह रामजन्म भूमि का 1990 का आंदोलन असहयोग आंदोलन था, 1992 का आंदोलन सविनय अवज्ञा आंदोलन था जिसमें ढांचा टूटा और अब2018 का आंदोलन क्विट इंडिया मूवमेंट है। भारत की सरकार और समाज इस बात को स्वीकार करेगा कि यह हिन्दू मुस्लिम विवाद का प्रश्न नहीं है। यह सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की पुनर्स्थापना का यज्ञ है हम इसे मिलकर करेंगे।