नई दिल्ली। प्याज की कीमतों में लगातार आ रही गिरावट अब व्यापारियों के साथ ही सरकार की मुसीबत बनती जा रही है। वहीं केन्द्र सरकार द्वारा लगाए निर्यात पर प्रतिबंध के बाद किसानों को लग रहा है कि आने वाले दिनों में प्याज की लागत भी निकालना मुश्किल हो जाएगा। 

 केंद्र सरकार ने सितंबर में प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था क्योंकि घरेलू बाजार में प्याज की कीमतें आसमान छू गई थीं। घरेलू कीमतों को कम करने के लिए प्याज के आयात को भी अनुमति दी गई थी। लेकिन अब यही फैसला केन्द्र सरकार की मुसीबत बनता जा रहा है। वहीं बाजार में प्याज की कम कीमत है तो गर्मियों की प्याज की बुआई में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा रही है। जिसके बाद भविष्य प्याज की कीमत में गिरावट की आशंका पैदा हो गई है।

नासिक जिले के निफाद तालुका के लासलगांव के थोक बाजार में फरवरी का औसत कारोबार मूल्य 1,982 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि यही जनवरी में यह 3,455 रुपये था। देश के अधिकांश शहरी बाजारों में प्याज की कीमत 40 रुपये प्रति किलो पर है। हालांकि बाजारों रबी फसल का प्याज आ चुका है। गौरतबल है कि कुछ दिनों पहले तक प्याज की कीमत आसमान छू रही थी और इसके कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।

बाजार में प्याज की कीमत को देखते हुए इस साल 7.05 लाख हेक्टेयर में प्याज की बुआई की गई है जबकि पिछले साल ये 5.20 लाख हेक्टेयर थी। वहीं व्यापारियों का कहना है कि अगर प्याज का निर्यात खुलता है तो देश में प्याज की कीमतों में इजाफा हो सकता है। क्योंकि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जिसके पास प्याज है और इसलिए तत्काल मांग होगी।