नई दिल्ली। तीन राज्यों इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। लेकिन कई बार सत्ता की बलि ले चुका प्याज इस बार भी तेज है। प्याज की कीमत लगातार बढ़ रही हैं। जिसको लेकर तीन राज्यों की सरकारें चिंता में हैं कि कहीं प्याज चुनाव में मुद्दा न बन जाए। फिलहाल खुले बाजार में 80 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर को छू चुका है और माना जा रहा है कि इसकी कीमतों में और ज्यादा बढ़ोत्तरी हो सकती है। 

राजधानी दिल्ली ही नहीं बल्कि देश के सभी हिस्सों में लोग प्याज की बढ़ी कीमत को लेकर परेशान हैं। दिल्ली में होलसेल कीमत 35 से 48 रुपये प्रति किलो है तो रिटेल मार्केट में 50 से 80 रुपये के बीच प्याज बिक रहा है। जबकि अभी पितृपक्ष चल रहे हैं और इसके बाद नवरात्र होने के बावजूद प्याज की कीमतों में उछाल तेजी से देखने को मिल रहा है।

अगर ये कहें कि प्याज के राजनैतिक कमोडिटी है तो कहना गलत नहीं होगा। क्योंकि प्याज कई बार चुनाव में बड़ा मुद्दा बन चुका है और सरकारें सत्ता से बेदखल  हो गई हैं। क्योंकि प्याज की कीमतों ने मुद्दे को मंहगाई बना दिया था। लिहाजा तीन राज्यों की सरकारें भी प्याज को लेकर परेशान हैं। हालांकि केन्द्र सरकार ने सरकारी कंपनी एमएमटीसी के जरिए बाहर से प्याज आयात करने का फैसला किया है। लेकिन ये प्याज कब आएगा। ये कहना मुश्किल है। जबकि प्याज उत्पादक राज्यों में बारिश के कारण उत्पादन कम हुआ है। जिसके कारण कीमतों में इजाफा हो रहा है।

कारोबारियों का कहना है कि प्याज की कीमतों में इजाफे का कारण लगातार हो रही बारिश है। जिसके कारण नई फसल को नुकसान पहुंचा है और पुराने प्याज की कीमत में स्टॉक कम होने के कारण इजाफा हो रहा है। मुंबई में तो चुनाव से पहले ही प्याज की कीमत लोगों को रूलाने लगी है। मुंबई में प्याज 60-70 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही है। जबकि दस दिन पहले ही कीमत 20-30 रुपये प्रति किलोग्राम थी। यानी महज दस दिन में लोगों को दोगुनी कीमत देनी पड़ रही है।

कुछ ऐसा ही हाल मध्य प्रदेश का है। जहां बाढ़ के कारण खाद्य उत्पादों की कीमतों में इजाफा हुआ है और वहां पर भी प्याज की कीमत 60 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुकी है। जबकि हरियाणा में प्याज की कीमत खुलेबाजार में 50 से 70 रुपये प्रतिकिलोग्राम पहुंच चुकी है। वहीं झारखंड में भी प्याज की कीमतें 60 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर को छूं चुकी हैं।