जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के सफाए के लिए चलाया जा रहा अभियान इस साल तेजी से आगे बढ़ा। हालांकि पिछले एक साल में राज्य में आतंकी वारदात में इजाफा देखा गया है। इनमें 80% का उछाल आया है। केंद्रीय गृहमंत्रालय के आंकड़ों से इसकी पुष्टि होती है। 

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में इस साल सुरक्षा बलों ने 20 प्रतिशत ज्यादा आतंकियों को ढेर किया। अभी तक सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर में 238 आतंकियों को मार गिराया है। हालांकि आतंकवाद से निपटने कोशिशों में सुरक्षा बलों के जवानों की शहादत का आंकड़ा भी बढ़ा है। पिछले साल की तुलना में इसमें 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 
 
सुरक्षा बल जम्मू-कश्मीर के बाशिंदों पर आतंकी हमलों को काफी हद तक रोकने में सफल रहे हैं। इनमें मामूली बढ़ोतरी हुई है। दो दिसंबर, 2017 तक राज्य में आतंकवाद से जुड़ी 329 घटनाएं हुई थीं, इनमें 36 लोगों अपनी जान गंवानी पड़ी। लेकिन पिछली बार की तुलना में इस बार आतंकी वारदात में इजाफा तो हुआ लेकिन लोगों की जान बचाने में सफलता मिली। अब तक राज्य में 587 आतंकी वारदात हुई हैं। इनमें 37 लोगों की मौत हुई है। भले ही सुरक्षा बल आम लोगों की जिंदगी बचाने में सफल रहे हों लेकिन राज्य में शहादत देने वाले जवानों की संख्या बढ़ी है। पिछले साल राज्य में 74 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे, इस साल यह आंकड़ा 86 पहुंच गया है। 

राज्य में तैनात सुरक्षा बलों के मुताबिक, भारत में आतंकी हमले करने के लिए पाकिस्तान लगातार आतंकियों की घुसपैठ कराने को बेचैन है। राज्य में आतंकी अभियान से जुड़े एक शीर्ष अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया, भले ही राज्य में आतंकी घटनाओं की संख्या बढ़ी है लेकिन आतंकियों का सफाया भी उतना ही तेजी से हुआ है। जब आप इस तरह का ऑपरेशन चलाते हैं, तो ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। लेकिन हमारी प्राथमिकता पहले की तरह स्पष्ट है। पहले आम आदमी की जान बचाना, फिर अपनी। 

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आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाए जाने के दावों के बीच सरकार की ओर से कई अन्य उपाय किए गए हैं। इनमें ऑपरेशनल ग्रिड को ह्यूमन इंटेलिजेंस की मदद से बढ़ाया गया है। सीमा पर टेक्नीकल इंटेलिजेंस ग्रिड का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। सितंबर में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने  कंप्रेहंसिव इंटीग्रेटेड बॉर्डर सिस्टम (सीआईबीएमएस) प्रोग्राम के तहत एक परियोजना का उद्घाटन किया था। 

दो अलग-अलग प्रोजेक्टों के तहत सीमा पर हाईटेक सर्विलांच सिस्टम लगाए गए हैं। यह जमीन, हवा और पानी में एक ऐसी 'अदृश्य दीवार' बनाते हैं, जो नजर नहीं आती। इससे बीएसएफ को उबड़खाबड़ इलाकों में घुसपैठ को नाकाम बनाने में मदद करती है। यह प्रोजेक्ट सरहद पर 5.5 किलोमीटर के दो अलग-अलग हिस्सों में चल रहा है।  

सीआईबीएमएस सर्विलांस, कम्युनिकेशन और डाटा जुटाने के लिए अलग-अलग उपकरणों का इस्तेमाल कर रहा है। थर्मल इमेजिंग सेंसर, यूजीएस, फाइबर ऑप्टिकल सेंसर, रडार, सोनार को एयरोस्टेट, टॉवर और पोल्स जैसे विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर लगाया गया है।