असल में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कूच बिहार के पंचानन बरम विश्वविद्यालय के कुलपति को 14 फरवरी को हुए वार्षिक दीक्षांत समारोह में आमंत्रित नहीं करने के लिए नोटिस जारी किया था। राज्यपाल ने कुलपति देवकुमार मुखोपाध्याय को इसके लिए व्यक्तिगत तौर पर 28 फरवरी तक अपना जवाब देने को कहा था।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में राज्य के राज्यपाल और राज्य सरकार और उसके संस्थानों के बीच चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। राज्यपाल ने हाल ही में दीक्षांत समारोह में आमंत्रित न करने के लिए कुलपति को नोटिस दिया तो अब राज्य में कुलपतियों के संगठन ने राज्यपाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
असल में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कूच बिहार के पंचानन बरम विश्वविद्यालय के कुलपति को 14 फरवरी को हुए वार्षिक दीक्षांत समारोह में आमंत्रित नहीं करने के लिए नोटिस जारी किया था। राज्यपाल ने कुलपति देवकुमार मुखोपाध्याय को इसके लिए व्यक्तिगत तौर पर 28 फरवरी तक अपना जवाब देने को कहा था। हालांकि कुलपति का कहना है कि उन्हें किसी भी तरह का नोटिस नहीं मिला है। लेकिन अब राज्य में कुलपतियों को संगठन कुलपति के पक्ष में खुलकर आ गया है है।
असल में राज्यपाल ओपी धनखड़ ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होने को लेकर मुखोपाध्याय को पत्र लिखा था। राज्पपाल राज्य के सभी विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होता है और कुलपति को नियुक्त करने और उसे निलंबित करने का अधिकार राज्यपाल के पास होता है। फिलहाल अपना जवाब देने के लिए उन्होंने कुलपति को राजभवन में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए 14 दिन का समय दिया है। वहीं कुलपतियों के संगठन कुलपति परिषद ने कहा है कि मुखोपाध्याय ने किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है।
क्योंकि उन्होंने दीक्षांत समारोह के कार्यक्रम के बारे में राज्यपाल आवास कोसूचित किया था लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। हालांकि पिछले साल राज्य सरकार ने राज्य में राज्यपाल की शक्तियों को कम करने के लिए विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया था। जिसके तहत कुलपतियों को नियुक्त करने और उन्होंने हटाने के लिए राज्यपाल को राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग से सलाह लेनी पड़ेगी। हालांकि पिछले दिनों उम्मीद की जा रही थी ममता सरकार और राज्यपाल के बीच विवादों का पटाक्षेप हो गया है।
Last Updated Feb 19, 2020, 6:26 AM IST