नई दिल्ली। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को साफ शब्दों में कहा कि वह ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए राजनीति कर रहा है। क्योंकि  वह मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए एफएटीएफ और सदस्य देशों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। लिहाजा अब पाकिस्तान की ग्रे लिस्ट में रहना तय है। हालांकि एफएटीएफ के ज्यादातर सदस्य पाकिस्तान के खिलाफ है। लेकिन मलेशिया और तुर्की के कारण पाकिस्तान एक बार फिर ब्लैक लिस्ट होने  से बच गया है। हालांकि इसके लिए फैसला शुरूवार को होगा।

एफएटीएफ की बैठक में तुर्की को छोड़कर ज्यादातर प्रतिनिधियों ने कहा कि पाकिस्तान भ्रामक, गलत और चुनिंदा मीडिया के माध्यम से अपनी ही जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रहा था। उसका कहना है कि ब्लैकलिस्ट होने से बचने के लिए एफएटीएफ मापदंडों पर काम इस्लामाबाद को ही प्रयास करने हैं। सदस्यों का कहा है कि पाकिस्तान एफएटीएफ की तकनीकी प्रक्रिया का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहा था।

पेरिस और आतंकवाद विरोधी गुटों के राजनयिकों के अनुसार, एफएटीएफ के सदस्यों को यह भी ध्यान रखने के लिए कहा गया था कि पाकिस्तान कैसे एफएटीएफ की तकनीकी प्रक्रिया का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहा था। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की पेरिस प्लेनरी में तुर्की को छोड़कर सभी 39 सदस्यों ने 13 एक्शन प्लान आइटम को पूरा करने के लिए पाकिस्तान को सख्त संदेश दिया है ।

एफएटीएफ ने तुर्की पर तंज कसते हुआ कहा कि तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोआन और मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर बिन मोहम्मद के बयानों से साबित होता है वह राजनीति कर रहे हैं। असल में कुछ दिन पहले, एर्दोगन ने यह स्पष्ट किया कि तुर्की पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने में मदद करेगा और एफएटीएफ के भीतर राजनीतिक कम करेगा। वहीं  महाथिर ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया और उसके आतंकवाद विरोधी प्रयासों की प्रशंसा की।