नई दिल्ली। पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे पर दुनियाभर में कोई तवज्जो नहीं मिलने के बाद अपने नापाक इरादों के जरिए अमेरिका पर दबबाव बना रहा है। पाकिस्तान अफगान सीमा से अपनी फौज हटाकर कश्मीर मुद्दे पर अमेरिका पर दबाव बना रहा है। इसके जरिए अमेरिका को ये जताने की कोशिश कर रहा है कि तालिबान के मुद्दे पर वह अमेरिका की मदद नहीं करेगा। जबकि अमेरिका और तालिबान के बीच बातचीत बहुत निर्णायक स्थिति में पहुंच चुकी है। पाकिस्तान द्वारा अफगान सीमा से फौज हटाने के बाद अफगानिस्तान में तालिबान ही मजबूत होगा। 

अभी तक पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के साथ लगती पश्चिमी सीमा पर सैन्य नियंत्रण को मजबूत रखा है। जिसके कारण ताबिबान नहीं पर कमजोर स्थिति में है। अगर पाकिस्तान अफगानिस्तान की सीमा से अपनी फौज हटाता है तो तालिबान की स्थिति वहां पर मजबूत हो जाएगी और इसका नुकसान सीधे तौर पर अमेरिका और अमेरिकी फौज को उठाने पड़ेगे क्योंकि पाकिस्तान में बैठे तालिबानी आतंकी अफगानिस्तान की तरफ रूख करेंगे।

इसके लिए पाकिस्तान तर्क दे रहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के चलते वह अपनी सेना अफगानिस्तान की सीमा से हटाकर कश्मीर की सीमा पर तैनात कर रहा है। फिलहाल  अमेरिका व तालिबान के बीच अफगान शांति वार्ता अपने अंतिम चरण पर है। इस दौरान अगर अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकी अफगानिस्तान पहुंचते हैं तो इससे तालिबान ही अफगानिस्तान में मजबूत होगा।

उसके मजबूत होने से सबसे बड़ा झटका अमेरिका को ही लगेगा क्योंकि जिस मुहिम के लिए अमेरिका अफगानिस्तान में तालिबानियों से लड़ रहा है। वह खत्म हो जाएगी। इसके बाद अफगानिस्तान में अमेरिका की पकड़ भी कमजोर होगी। पाकिस्तान दिखावे के लिए कह रहा है कि अमेरिका-तालिबान वार्ता सफल होगी और उनका देश सक्रिय रूप से इसका समर्थन कर रहा है। लेकिन पाकिस्तान की इससे ज्यादा समस्या कश्मीर को लेकर है।

लिहाजा अफगानिस्तान सीमा से फौज को भारत सीमा पर शिफ्ट किया जा रहा है। गौरतलब है कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पाकिस्तान पूरे विश्व में इस मुद्दे पर अलग पड़ गया है। उसे किसी भी देश का समर्थन नहीं मिला है। यहां तक उसके करीबी माने जाने वाले चीन ने भी उसका साथ छोड़ दिया है। लिहाजा पाकिस्तान अमेरिका को इस मामले में शामिल  करने के लिए तालिबान और अफगान सीमा के जरिए दबाव बना रहा है।