आतंक के वित्तपोषण से निपटने में पाकिस्तान की प्रगति को लेकर एफएटीएफ संतुष्ट नहीं हैं। हालांकि चीन, मलेशिया और तुर्की पश्चिमी देशों को समझाने रहे हैं कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाए हैं। जिसके कारण उसे ग्रे लिस्ट से निकलाना चाहिए। हालांकि पिछले दिनों बीजिंग में हुई बैठक में चीन ने पाकिस्तान को बचाने की पूरी कोशिश की थी।
नई दिल्ली। पाकिस्तान को वित्तीय कार्रवाई कार्यबल यानी एफएटीएफ की बैठक में एक बार फिर बड़ा झटका लग सकता है। एफएटीएफ पाकिस्तान को एक बार फिर ग्रे लिस्ट में रख सकता है। हालांकि इसे एक तरह से पाकिस्तान की जीत भी कहा जा सकता है। क्योंकि पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में रखने को सफल रहा और वह ब्लैक लिस्ट में शामिल नहीं हुआ। इस बार भी पाकिस्तान को उसको दोस्त चीन, मलेशिया और तुर्की उसे बचा सकते हैं।
आतंक के वित्तपोषण से निपटने में पाकिस्तान की प्रगति को लेकर एफएटीएफ संतुष्ट नहीं हैं। हालांकि चीन, मलेशिया और तुर्की पश्चिमी देशों को समझाने रहे हैं कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाए हैं। जिसके कारण उसे ग्रे लिस्ट से निकलाना चाहिए। हालांकि पिछले दिनों बीजिंग में हुई बैठक में चीन ने पाकिस्तान को बचाने की पूरी कोशिश की थी। इन देशों के तर्क हैं कि पाकिस्तान ने 27 में से 14 बिंदुओं पर काम किया है। गौरतलब है कि एफएटीएफ ने 2018 में पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखा गया था।
हालांकि अन्य देशों ने एफएटीएफ की बैठक में अपने तर्क दिए हैं कि पाकिस्तान सरकार ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद और एक सहयोगी को पाकिस्तानी अदालत द्वारा दो आतंकी मामलों में साढ़े पांच साल की जेल की सजा सुनाई है। लेकिन पाकिस्तान अभी तक लश्कर के ऑपरेशन कमांडर जकीउर रहमान लखवी और जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) प्रमुख मसूद अजहर के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर सका है। वहीं एफएटीएफ ने अपनी रिपोर्टों कहा है कि पाकिस्तान लश्कर, जेईएम, तालिबान, इस्लामिक स्टेट, अल-कायदा और हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर सका है।
Last Updated Feb 18, 2020, 6:39 AM IST