बड़े और निर्णायक बहुमत से चुनाव जीतकर संसद में पहुंची केन्द्र सरकार तेजी से काम में जुट गई है। नई सरकार का पहला संसदीय सत्र चालू हो गया है। पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में कई तरह के सुधारों को तेज गति से लागू करने का इशारा दिया है।
नई दिल्ली: 17वीं लोकसभा का पहला सत्र सोमवार से जारी है। पहले दो दिन तो नए सदस्यों को शपथ दिलाने में निकल गए। इसके बाद नए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने भी अपना पद ग्रहण कर लिया। आज राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगे।
यह संसदीय सत्र 26 जुलाई तक चलेगा। 4 जुलाई को संसद में आर्थिक सर्वे और 5 जुलाई को केन्द्रीय बजट पेश किया जाएगा।
इसके अलावा भी इस सत्र में सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने वाली है। दरअसल पिछले सप्ताह बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने 10 अहम विधेयकों का रास्ता साफ किया है। यह सभी दस विधेयक इस संसद सत्र में पेश किए जाएंगे। इनमें से ज्यादातर विधेयक पहले के अध्यादेशों की जगह लेने वाले हैं। इसमें से कुछ प्रमुख विधेयक इस प्रकार हैं-
तीन तलाक़ बिल
इस बार से संसद सत्र में पेश किए जाने वाले विधेयकों में तीन तलाक बिल प्रमुख है। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) बिल के तहत तलाक़-ए-बिद्दत यानी तीन तलाक़ को दंडनीय अपराध बनाने का प्रस्ताव है। यह अध्यादेश पिछली बार की मोदी सरकार के दौरान लाया गया था। जिसका स्थान तीन तलाक बिल लेगा। पिछली सरकार के दौरान तीन तलाक बिल लोकसभा से पारित हो गया था, लेकिन राज्यसभा में बहुमत न होने की वजह से यह अटक गया। बाद में सरकार ने अध्यादेश लाकर इसे लागू कर दिया। इस बार लाया जाने वाला बिल इसी अध्यादेश की जगह लेगा।
जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) बिल
यह बिल भी इसी संसदीय सत्र में आ सकता है। इस विधेयक के तहत जम्मू, सांबा, कठुआ में अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांववालों को 3 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इससे पहले ये आरक्षण सिर्फ नियंत्रण रेखा से सटे इलाकों में रहने वाले लोगों को ही मिलता था।
बताया जा रहा है कि इस बिल से अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़े 435 गांवों के साढ़े तीन लाख से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा।
आधार संशोधन बिल
पिछले सप्ताह कैबिनेट की बैठक में आधार एवं अन्य क़ानून (संशोधन) बिल 2019 को हरी झंडी दी गई थी। यह विधेयक मार्च 2019 में जारी किए गए अध्यादेश की जगह लेगा। इसके अलावा बैंक खाता खुलवाने और मोबाइल फ़ोन कनेक्शन लेने के लिए पहचान पत्र के रूप में आधार के इस्तेमाल को ऐच्छिक बनाने की इजाज़त दी गई है। इस बिल में आधार नियम के उल्लंघन पर भारी ज़ुर्माने का प्रस्ताव है।
श्रम क़ानून संशोधन विधेयक
मोदी सरकार इस बार के संसदीय सत्र में श्रम क़ानूनों में सुधार से संबंधित विधेयक भी ला सकती है। इसे लेकर मंत्रालयों में कई अहम बैठकें भी हुई हैं। अपने पिछले कार्यकाल में मोदी सरकार ने 44 श्रम क़ानूनों को ख़त्म कर उनकी जगह चार श्रम संहिताएं लाने का प्रस्ताव बनाया था। केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने पिछले सप्ताह जानकारी दी थी कि श्रम कानून संशोधन को सत्र के दूसरे सप्ताह में पेश किए जाएगा।
शिक्षकों भर्ती बिल
इस विधेयक को भी केंद्रीय कैबिनेट से मंज़ूरी मिल चुकी है। मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से तैयार इस बिल के अनुसार, मौजूदा 7000 खाली पदों को नए आरक्षण सिस्टम के तहत सीधी भर्ती की इजाज़त दी जाएगी। ये विधेयक केंद्रीय शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण अध्यादेश 2019 के स्थान पर लाया जाएगा।
पिछले दिनों कॉलेज-विश्वविद्यालयों में शिक्षक भर्ती के लिए आरक्षण का 200 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम हटाने पर काफ़ी हंगामा मचा था। इस विधेयक में इसे बहाल किया गया है।
मेडिकल काउंसिल संशोधन बिल
इंडियन मेडिकल काउंसिल संशोधन बिल को भी इसी सत्र में पेश किया जाएगा। ये विधेयक इंडियन मेडिकल काउंसिल (संशोधन) अध्यादेश की जगह लेगा। नए प्रावधानों के तहत दो साल तक इंडियन मेडिकल काउंसिल की निगरानी बोर्ड ऑफ़ गवर्नर करेंगे। इस अवधि में बोर्ड ऑफ़ गवर्नर मेडिकल शिक्षा की निगरानी करेंगे।
मोटर गाड़ी (संशोधन) बिल
पिछली सरकार में ये बिल लोकसभा में पास हो गया था। अप्रैल 2017 में इसे राज्यसभा में भी पेश कर दिया गया लेकिन वहां से इसे संसदीय समिति के हवाले कर दिया गया। लेकिन समिति के सुझावों के साथ राज्यसभा में इस पर चर्चा पूरी नहीं हो पाई और इसकी अवधि समाप्त हो गई थी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया है कि संसद के इसी सत्र में इस बिल को पेश किया जा सकता है।
इसके अलावा सरकार के एजेन्डे में डेंटिस्ट एक्ट 1948 संशोधन बिल 2019, न्यू देल्ही इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (एनडीआईएसी) बिल, द एलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफ़ेशनल बिल और नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन बिल भी हैं। जिन्हें इसी संसदीय सत्र में पेश किया जा सकता है।
इन सभी विधेयकों को लोकसभा से पास कराने में सरकार को कोई परेशानी नहीं होगी। क्योंकि लोकसभा में एनडीए सरकार के पास 353 सदस्यों का बहुमत है। लेकिन वास्तविक परेशानी 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में आएगी। जहां एनडीए के अभी भी मात्र 102 सदस्य है। उम्मीद की जा रही है कि अगले 8 महीनों में राज्यसभा में भी एनडीए का बहुमत हो जाएगा।
Last Updated Jun 20, 2019, 9:34 AM IST