पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर आपराधिक मानहानि मामला में पटियाला हाउस कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट अब इस मामले में 29 जनवरी को फैसला सुनायेगा।


एमजे अकबर की मानहानि के मसले पर कोर्ट 29 जनवरी को फैसला देगा कि महिला को बतौर आरोपी समन जारी किया जाए या नही। एम जे अकबर ने अपने पक्ष में 6 गवाहों की सूची कोर्ट को सौंपी थी, और कोर्ट में सभी का बयान दर्ज हो गया है। 

पिछली सुनवाई के दौरान अकबर ने इस मामले में कोर्ट में बयान कराया था और कहा था कि मैंने प्रिया रमानी के खिलाफ उनके द्वारा किए गए ट्वीट्स के लिए मानहानि का केस किया है। उन्होंने यह भी कहा कि विदेश से लौटने के बाद पहली बार यह मेरे ध्यान में आया। 

कोर्ट में अकबर ने खुद की लिखी कई किताबें पेश की। उन्होंने अपनी शिक्षा, पत्रकारिता और राजनीतिक जीवन के बारे में भी कोर्ट को बताया। अकबर ने यह कहा था कि रमानी द्वारा 10 और 13 अक्टूबर को किए गए ट्वीट् के खिलाफ मैन मानहानि का केस किया है। इन ट्वीट्स को मीडिया में भी कवरेज मिली। लेकिन उनके द्वारा जो आर्टिकल लिखा गया था, उसमें मेरा नाम नही है। 

अकबर ने प्रिय रमानी पर धारा 499 और 500 के तहत मानहानि का केस किया था। 17 अक्टूबर को अकबर ने बतौर विदेश राज्यमंत्री अपना पद छोड़ दिया था। उनके खिलाफ 15 महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे प्रिया रमानी का नाम उस समय चर्चा में आया जब उन्होंने 8 अक्टूबर को ट्वीट पर अकबर के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार की बात लिखी। 

हालांकि अकबर ने इन आरोपों का खंडन किया और मीटू कैंपेन को एक वायरल फीवर बताया। मामले को सुनवाई के दौरान गीता लूथरा ने कोर्ट में कहा था कि रमानी के ट्वीट की वजह से अकबर की छवि धूमिल हुई है। इन ट्वीट को परिवार, दोस्तों और एसोसिएटेड ने पढ़ा है। अकबर के पास कई नंबरो से फोन आये जिसमे लोग इन आरोपों के बारे में जानना चाहते थे। 

इन सब बातों ने अकबर की छवि को नुकसान हुआ है। मोदी सरकार के पहले ऐसे मंत्री है जिन्हें यौन शोषण मामले की वजह से पड़ छोड़ना पड़ा। इस्तीफा देने से पहले अकबर ने कहा था कि वह झूठे आरोपों से लड़ेंगे।